इस बारे में छात्रों से बात करने पर पता चला कि पिछले सत्र की परीक्षाएं विधानसभा चुनाव के चलते देर से हुई थीं। इस कारण इस वर्ष सत्र जुलाई में शुरू हो पाया, इसलिए अब तक उनका पाठ्यक्रम भी पूरा नहीं हो सका है। विद्यार्थियों को उम्मीद थी कि बोर्ड उनकी इस समस्या को ध्यान में रखेगा और परीक्षाएं देर से कराएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। पिछले वर्ष के मुकाबले इस सत्र की परीक्षाएं जल्दी शुरू हो रही हैंं। इस कारण विद्यार्थियों में तनाव की स्थिति है। उन्हें डर है कि यदि समय से कोर्स पूरा नहीं हो सका तो इसका सीधा असर उनके रिजल्ट पर पड़ेगा और इससे उनका भविष्य प्रभावित होगा।
इस बारे में जब दसवीं कक्षा की छात्रा प्रिया राठौर से बात की गई तो उसका कहना था कि नवंबर में निकाय चुनाव होने हैं। पूरा महीना उसमें निकल जाएगा। नवंबर के बाद सिर्फ दो महीने हमारे पास होंगे। अभी मुश्किल से आधा कोर्स हुआ है। इन दो महीनों में अध्यापक का कोर्स पूरा करा पाना मुश्किल लग रहा है। किसी तरह कराएंगे भी तो काफी जल्दी होगा, जिसे समझने में परेशानी होगी। इसका पूरा असर परीक्षार्थियों की परीक्षा और रिजल्ट पर आएगा। प्रिया का कहना है कि वे अपनी तरफ से पूरी मेहनत करेंगी, लेकिन फिर भी परीक्षा तिथि घोषित होने के बाद से मन में एक संशय की तनावपूर्ण स्थिति आ गई है।
आपको बता दें कि माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी UP Board की परीक्षाएं इस बार छह फरवरी से शुरू होने जा रही हैं। हाईस्कूल की परीक्षाएं 22 फरवरी तक समाप्त हो जाएंगी। जबकि इंटरमीडिएट की परीक्षा करीब मार्च के पहले सप्ताह यानी 10 मार्च तक चलेंगीं।