मई माह के महीने के 16 दिन बीत जाने के बाद करीब दो दर्जन विभागों के अधिकारियों का वेतन जारी करने के निर्देश जारी हुए हैं। अब इन अधिकारियों व कर्मचारियों को वेतन मिलेगा, जो एक पखवारे से रुका हुआ था। इससे करीब ढाई हजार कर्मचारी प्रभावित थे और पिछले 15 दिनों से इस बात का इंतजार कर रहे थे कि उनका वेतन कब रिलीज होगा।
ओडीएफ को इस समय शासन व प्रशासन ने सर्वाेच्च प्राथमिकता दी है। इसे लेकर प्रशासन भी काफी गंभीर है। कई अधिकारियों को ओडीएफ को लेकर नोडल अधिकारी बनाया गया था, लेकिन इन अधिकारियों द्वारा कार्य में लापरवाही बरतने तथा रिपोर्ट न देने पर जिलाधिकारी ने 35 विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों का वेतन रोके जाने के निर्देश जारी कर दिए थे। यह वेतन आमतौर पर महीने की पांच तारीख को रिलीज होता है, लेकिन इस बार जिलाधिकारी के आदेश पर वेतन रोक दिया गया। इसको लेकर हड़कंप मचा हुआ था। अधिकारियों के साथ कर्मचारी भी यह इंतजार कर रहे थे कि वेतन कम आएगा।
ओडीएफ को इस समय शासन व प्रशासन ने सर्वाेच्च प्राथमिकता दी है। इसे लेकर प्रशासन भी काफी गंभीर है। कई अधिकारियों को ओडीएफ को लेकर नोडल अधिकारी बनाया गया था, लेकिन इन अधिकारियों द्वारा कार्य में लापरवाही बरतने तथा रिपोर्ट न देने पर जिलाधिकारी ने 35 विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों का वेतन रोके जाने के निर्देश जारी कर दिए थे। यह वेतन आमतौर पर महीने की पांच तारीख को रिलीज होता है, लेकिन इस बार जिलाधिकारी के आदेश पर वेतन रोक दिया गया। इसको लेकर हड़कंप मचा हुआ था। अधिकारियों के साथ कर्मचारी भी यह इंतजार कर रहे थे कि वेतन कम आएगा।
इस बीच कुछ विभागों की ओर से ओडीएफ से संबंधित रिपोर्ट जमा कर दी गई तो करीब आधा दर्जन विभागों का वेतन रिलीज कर दिया गया था। इसके बाद भी दो दर्जन विभागों का वेतन रुका हुआ था। बुधवार को जिलाधिकारी ने इन सभी का वेतन जारी कर दिए जाने के निर्देश वरिष्ठ कोषाधिकारी को दिए। इसके बाद अब इनका वेतन जारी किया जा रहा है। इसको लेकर कर्मचारियों में काफी प्रसन्नता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वकांक्षी योजनाओं में से एक स्वच्छ भारत मिशन में लापरवाही बरतने पर इटावा की जिलाधिकारी केे 35 विभागों की सैकड़ों अफसरों के वेतन रोक दिए थे जिससे यहॉं पर हडकंप मच गया था। इटावा मे गांवों में ओडीएफ की रिपोर्ट न देने पर 35 विभागों के अधिकारियों के वेतन रोकने के निर्देश दिए हैं । ओडीएफ को लेकर जिलाधिकारी की ओर से पूरे जिले में बड़ी संख्या में अधिकारियों व कर्मचारियों को लगाया हुआ है। इन सभी की सत्यापन रिपोर्ट 30 अप्रैल तक जमा की जानी थी परंतु बड़ी संख्या में अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट जमा नहीं की।
इटावा जिले को ओडीएफ बनाए जाने को लेकर विभिन्न विभागों के अधिकारियों का नोडल अधिकारी बनाकर अलग-अलग गांव को जिम्मेदारी सौंपी गई थी । जिलाधिकारी के आदेश के बाद जिला आपूर्ति विभाग,कृषि विभाग,लोक निर्माण विभाग,आरईएस, उद्योग विभाग,सिंचाई विभाग,भोगनीपुर प्रखंड,खंड विकास कार्यालय,क्षेत्रीय ग्रामीण प्रशिक्षण संस्थान बकेवर के के अलावा ओडीएफ से संबंधित विभाग विभागो के अधिकारियो और कर्मियो का वेतन रोक दिया गया था लेकिन अब वेतन भुगतान के आदेश मिलने के बाद खुशी का एहसास हो रहा है ।
वर्ष 2004 में जब योजना की शुरुआत हुई तब शौचालयों निर्माण के लिए 500 रुपये लाभार्थी को दिए जाते थे । उसके बाद महंगाई के साथ यह रकम बढ़ती गई । 500 रुपये के बाद डेढ़ हजार रुपये मिलने लगे । फिर 2200 रुपये हुए उसके बाद 4500 रुपये हो गए और आज वर्तमान में सरकार शौचालयों के लिए 12 हजार रुपये दे रही है। लेकिन इस योजना में गोलमाल ज्यादा हुआ । शौचालय बने नहीं और रकम निकलती गई। केंद्र सरकार की यह योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई ।
इटावा के मुख्य विकास अधिकारी पी.के. श्रीवास्तव बताते है कि जनपद में बेस लाइन सर्वे के अनुसार 471 ग्राम पंचायत हैं जिसमें कुल 2 लाख 50 हजार 920 परिवार निवास करते हैं । उन्होने बताया कि जनपद को माह अक्टूबर, 2017 तक खुले में शौच मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया था उसके बाद इसकी समय सीमा को बढा कर 30 अप्रैल तक दिया गया लेकिन इस अवधि मे मात्र 75 फीसदी ओडीएफ लक्ष्य पूरा हो सका जिसके चलते जिलाधिकारी स्तर पर वेतन रोकने की कार्यवाही अमल मे लाई गई लेकिन बाद मे जिलाधिकारी ने एक निश्चित समय सीमा का भरोसा लेते हुए वेतन भुगतान के आदेश दिये हुए हैं।