इटावा के अलावा बकेवर, लखना, जसवंतनगर व भरथना से भी कई प्राइवेट ट्रैवलर्स दिल्ली और जयपुर का सफर कम रुपयों में कराने को तैयार बैठे हैं। किराए का एक कमरा ,एक मेज और कुर्सी के भरोसे चलने वाली इन प्राइवेट एजेंसियों का सर्वेसर्वा कौन है इसकी जिम्मेदारी तय करना अब तक किसी ने उचित नहीं समझा। परिवहन विभाग की ओर से चलाए जाने वाले अभियान में भी इस प्रकार की गाडियों पर लगाम लगाने की कवायद की गई लेकिन स्थिति अब भी वैसी है जैसी बीते कई सालों से थी। एआरटीओ कार्यालय के रिकार्ड के हिसाब से इटावा में केवल एक पार्टी परमिट एजेंसी संचालित है, कागजों के विपरीत 54 से अधिक एजेंसियां पूरे जिले में संचालित हंै। इससे लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है। कन्नौज में हुई घटना के बाद एक बार फिर से जिले में यात्री सुरक्षा को लेकर समीक्षा की जरूरत है शायद इस बार भी फाइलों में होने वाली खानापूर्ति सड़कों पर नजर नहीं आएगी।
रोडवेज के क्षेत्रिय प्रबंधक एके झा बताते है कि डग्गामारी से हर महीने राजस्व का नुकसान हो रहा है। परिवहन विभाग के साथ संयुक्त टीमें बनाकर चेकिंग के निर्देश दिए हैं। सहयोग की भावना से ही इस प्रकार की शिकायतों पर लगाम लगेगी और डग्गामारी को रोका जा सकेगा। इसके लिए मुख्यालय को भी सूचना दे दी गई है,साथ ही एआरटीओ को भी पत्र लिखा गया है।
कम किराए के चक्कर में यात्री डाल रहे जोखिम में जान रोडवेज की तुलना में कम किराया और समय की पाबंदी इन प्राइवेट बसों के लिए अमृत बनी हुई है। यात्री कम किराए के चक्कर में जान जोखिम में डालने से भी नहीं चूकते। सामान्य तौर पर परिवहन निगम की एसी बस से दिल्ली आनंद विहार का किराया 600 रुपए से लेकर 889 रुपए तक है। जनरथ सेवा में 560 से 600 तक में दिल्ली की यात्रा की जा सकती है, जबकि आर्डिनरी बस का किराया लगभग 343 से 397 तक है। प्राइवेट ट्रैवल्स एजेंसी 300 रुपए में सिटिंग जबकि 600 से 700 रुपए में स्लीपर का सफर कराते है। हालांकि सुरक्षा की कोई गारंटी न होने के बावजूद यात्री इन बसों में बड़ी संख्या में सफर करने को मजबूर है।