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योगी की राह पर अखिलेश, अयोध्या में राम मूर्ती तो सैफई में दिखेंगे कृष्ण

locationइटावाPublished: Nov 11, 2017 02:09:47 pm

Submitted by:

Dikshant Sharma

अखिलेश यादव 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले लालू यादव समेत अन्य विपक्षी नेताओं को एक जुट कर इसका अनावरण करेंगे।

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लखनऊ. भारतीय जनता पार्टी पर भगवान राम के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाने वाली समाजवादी पार्टी भी अब उसी रंग में रंग चुकी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीपावली के मौके पर अयोध्या में मर्यादा पुरूषोत्तम राम की अब तक की सबसे बड़ी मूर्ति लगाने की घोषणा की थी। ऐसे में मुख्य विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी भी भला कहां पीछे रहने वाली थी। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भगवान राम की काट के लिए राजनीति के मैदान में भगवान कृष्ण को उतार दिया है। अबसपा के गढ़ इटावा के सैफई में कांसे की बनी भगवान कृष्ण की 50 फुट ऊंची प्रतिमा लगाने की तैयारी है। इस मूर्ति को यादव बहुल क्षेत्र में लगाने का आईडिया पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पार्टीजनों को इसलिए सुझााया है ताकि भगवान राम की 100 मीटर ऊंची मूर्ति का जवाब दिया जा सके।

गोपनीय ढंग से तैयार हो रही मूर्ति
भगवान कृष्ण की प्रतिमा लगभग बनकर तैयार है। राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक पूर्व सीएम अखिलेश यादव 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले एक बड़े राजनीतिक जमावड़े में मूर्ति लगाने की घोषणा करेंगे। इस कार्यक्रम में राजद नेता लालू प्रसाद यादव समेत अन्य बड़े विपक्षी नेताओं को बुलाने की योजना है। ख़ास बात यह है कि इस मूर्ति का निर्माण बेहद ही गोपनीय ढंग से पिछले छह महीने से किया जा रहा है। मूर्ति निर्माण के लिए पैसा सैफई महोत्सव का आयोजन करने वाली सैफई महोत्सव कमिटी ने दिया है। इस कमेटी के अध्यक्ष सपा नेता मुलायम सिंह यादव हैं। इसके अखिलेश यादव सदस्य हैं।

क्या है कृष्ण की मूर्ति में विशेष
विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मूर्ति 50 फुट लंबी है। इसका वजन करीब 60 टन होगा। इसके निर्माण के लिए जापानी स्टेनलेस स्टील और पीतल का प्रयोग किया जा रहा है। इसकी व्लडिंग में भी ख़ास तौर से एयरोप्लेन में लगने वाली टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया गया है। यह मूर्ति उस दृश्य को दर्शा रही है जिसमें भगवान कृष्ण रथांग पाणी रूप में हैं। अर्थात महाभारत के दौरान शस्त्र के तौर पर पहली बार उठाये गए रथ का पहिये के रूप में।

क्या कहते हैं राजनीतिक पर्यवेक्षक
हालांकि, मूर्ति अभी नहीं लगी है लेकिन, राजनीतिक प्रतिक्रिया सामने आने लगी है। राजनेताओं का मानना है कि सपा भगवान कृष्ण की मूर्ति यादव समाज और अन्य ओबीसी जातियों को लुभाने के लिए लगवा रही है। भगवान कृष्ण को रथ का पहिया उठाए दिखाये जाने के पीछे राजनीतिक संदेश देने की मंशा है। दरअसल, पूरी महाभारत के दौरान सिर्फ एक बार ही मायावी कृष्ण ने रथ का पहिया शस्त्र के तौर पर उठाया था। ऐसे में लोकसभा से पहले एक तरह से अखिलेश सभी विपक्षी नेताओं को एक जुटकर ये सन्देश देने का प्रयास करेंगे कि महाभारत के युद्व में विपक्षियों को परास्त करने के लिए सभी एकजुट हों। साथ खुद को महारथी रूप में दिखाने की भी मंशा है।

अयोध्या की राह पर…
उधर, विपक्षियों का कहना है कि अखिलेश सीएम योगी आदित्यनाथ की नकल कर रहे हैं।यूपी सरकार ने अयोध्या में 100 मीटर ऊंची भगवान राम की मूर्ति लगवाने का प्रस्ताव राज्यपाल राम नाईक को सौंपा है। अभी इस परियोजना के शुरू होने की तिथि तय नहीं है। इसलिए अखिलेश धर्म को ढाल बना कर अयोध्या के राम की काट के तौर पर सैफई में कृष्ण को प्रतिष्ठापित करने की तैयारी में हैं।

क्या कहते हैं नेता
इस संबंध में अखिलेश यादव का कहना है कि रामभक्त हनुमान की सबसे बड़ी मूर्ति सैफई में है। और सैफई महोत्सव की शुरूआत ही हनुमान जी की पूजा से होती है। सपा ईश्वर में कोई भेद नहीं करती।

भाजपा सांसद विनय कटियार का कहना है कि राम और कृष्ण सभी के हैं। अखिलेश यादव यदि सैफई में कृष्ण की मूर्ति लगाना चाहते हैं तो जरूर लगाएं यह एक पुनीत कार्य है।

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