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अमेरिकी भी आम बोल चाल मे हिंदी को अपनाने लगे- राज्यपाल बेबी रानी मौर्य

locationइटावाPublished: Dec 09, 2018 08:41:22 pm

Submitted by:

Ashish Pandey

कहा-हिंदी के बढ़ते प्रभाव के चलते हिंदी की शक्ति को नकारने वाले हिंदी को स्वीकारने की स्थिति में आ गए हैं।
 

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अमेरिकी भी आम बोल चाल मे हिंदी को अपनाने लगे- राज्यपाल बेबी रानी मौर्य

इटावा. उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने हिंदी भाषा के बढ़ते हुए प्रभाव का जिक्र करते हुए कहा कि वह अपने बच्चों के पास अमेरिका गई हुई थीं, जहां पर वह देख कर हैरत में पड़ गईं कि उनके बच्चे जहां हिंदी में बात करते थे वहीं उनके अमेरिकी दोस्त भी हिंदी में ही बात करते हुए देखे जा रहे थे। इसे हिंदी के प्रति प्रेम ही कहा जा सकता है।
वह यहां मुख्यालय के ऐतिहासिक इस्लामिया इंटर कालेज परिसर में आयोजित इटावा हिंदी सेवा निधि के 26 वें सारस्वत सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर बोल रही थीं।
जब हम दक्षिण में जाते हैं तो वह सब समझते हैं

उन्होंने कहा कि हिंदी को भारत में राजभाषा का दर्जा मिला हुआ है। सभी सरकारी कामकाज में हिंदी का गौरवपूर्ण स्थान है और होना भी चाहिए। भारत में कई भाषाएं विद्यमान हैं। वैसे तो भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में भारत की अन्य भाषाओं के मुकाबले हिंदी को अलग स्थान मिला हुआ है। अन्य भाषाएं अपने अपने प्रांत तक हैं, लेकिन हिंदी पूरे देश की भाषा है। भले ही कोई बोले नहीं लेकिन समझते सभी हैं वो भले ही हमे हिंदी में जवाब नहीं दें जब हम दक्षिण में जाते हैं तो वह सब समझते हैं।
स्वीकारने की स्थिति में आ गए हैं
उन्होंने कहा कि इसलिए मानती हूँ कि कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक, गुजरात से लेकर उड़ीसा तक,हिंदी जुबानी भाषा है जिसे सब समझते भी है और बोलना चाहते है । उन्होने कहा कि विदेशों में भी हिंदी का प्रचार प्रसार व्यापक पैमाने पर बढ़ चला है। हिंदी का प्रभाव सोशल मीडिया और इंटरनेट के माध्यम से लगातार बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया और इंटरनेट के माध्यम से हिंदी के बढ़ते प्रभाव के चलते हिंदी की शक्ति को नकारने वाले हिंदी को स्वीकारने की स्थिति में आ गए हैं।
अनुवाद करने की महती जरूरत है
उन्होंने कहा कि हिंदी को और अधिक सक्षम और संपन्न बनाने के लिए यह जरूरी है कि इसको अन्य क्षेत्रों से भी जोड़ा जाए । हिंदी को विज्ञान, चिकित्सा, विधि प्रौद्योगिकी और न्याय से भी जोड़े जाने की जरूरत है । उनका कहना है कि हिंदी बहुत ही विशाल हृदय की भाषा है हिंदी हर किसी को उदारतापूर्वक स्थान देती है । उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में अन्य भाषाओं की पुस्तकों को हिंदी में और हिंदी की भाषाओं को अन्य भाषाओं में अनुवाद करने की महती जरूरत है। उन्होंने विश्वास जताया कि आज आज हिंदी की अगुवाई में अन्य भाषाएं देश की एकता और अखंडता को मजबूत करने की दिशा में काम करने में जुटी हुई है।
अपनी भाषा के बगैर उन्नति और प्रगति नहीं कर सकता
उन्होंने कहा कि उन्होंने उत्तराखंड राजभवन में सभी कामकाज हिंदी भाषा में कराना शुरू कर दिया है। किसी भी पत्र का पत्राचार हिंदी भाषा में पूर्ण रूपेण शुरू कर दिया गया। यहां तक की उनके पास पहुंचने वाले हर पत्र को हिंदी भाषा में पहुंचाने के लिए प्रेरित किया जाता है। उन्होंने कहा कि हिंदी ना केवल हमारी मातृ भाषा है बल्कि वह हमारी मां भी है, हमको इसका सम्मान करना ही होगा। हम सभी इंग्लिश के पीछे पढ़े रहते हैं। यह बात आज तक समझ में नहीं आई है कोई भी देश अपनी भाषा के बगैर उन्नति और प्रगति नहीं कर सकता। गांव में निवास करने वाले क्या इंग्लिश जानते हैं या फिर किसी दूसरी भाषा को जानते हैं। गांव वालों से हिंदी भाषा में बेहतर संवाद किया जा सकता है।
किसी भी मंच पर खड़ा नहीं हो पायेगा
उन्होंने कहा कि कोई भी बच्चा कितना भी बुद्धिमान हो जब तक वह अपनी भाषा को अपनी संस्कृति को अपने ज्ञान को नहीं समझेगा वो कहीं भी किसी भी मंच पर खड़ा नहीं हो पायेगा। इसलिए हमें अपने ज्ञान देश की अखंडता के लिए, देश का गौरव बढ़ाने के लिए हिंदी का सम्मान करना है। हिंदी को अंगीकार करना है। भले ही हम इंग्लिश स्कूलों में पढ़ें हो लेकिन एक दूसरे से हिंदी में ही बात करते हैं। उन्होंने अपनी अमेरिका यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि वह अपने बच्चों के पास अमेरिका गईं हुई थीं जहां पर वह हिंदी में ही अपने बच्चों से बात करती थीं। सबसे बड़ी बात तो यह कि जो उनके अमेरिकी दोस्त भी आते थे तो उनसे भी हिंदी में ही बात की जाती थी।
हिंदी सेवा निधि के सारस्वत सम्मान समारोह मे दिग्गज पत्रकार वेदप्रकाश वैदिक, उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष हदयनारायण दीक्षित, बुदिनाथ मिश्रा, गिरीश श्रीवास्तव, डा.विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, डा.राजकुमार, नवाज देवबंदी, रवि चतुर्वेदी, भानुदत्त बिहारी, नेमबंती बिहारी, प्रो.रामचरण त्रिपाठी, न्यायमूर्ति शशीकांत, दर्शनानंद गौड, डा.सिदार्थदास, डा..बनीतादास, अंजू जैन, डा. शशी गोयल, मोहम्मद अकरम खान, प्रेमनारायण शुक्ल, रोहित तिवारी और अतुल तिवारी को सम्मानित किया गया।
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