लखनऊ का दशहरी आम अपने आप में सबसे अलग है। सऊदी अरब के शेख तो इसके इतने दिवाने हैं कि बाग के बाग ही आम में बौर आने से पहले ही खरीद लेते हें। हर साल करी 20 लाख टन दशहरी आम पैदा होता है। मिठास और खासियत की वजह से इसे आमों में नवाब का दर्जा मिला हुआ है। इस सीजन की पहली खेप बाजार में आ चुकी है।
सहारनपुर का हाथी झूल दुनिया का सबसे भारी आम है। जिसका वजन 3.5 किलोग्राम तक होता है. हाथीझूल आम का नाम सहारनपुर के एक किसान ने इसकी मोटाई को देखकर कहा था कि पेड़ पर हाथी झूल रहा है। इस आम को अभी बाजार में आने में वक्त है।
लंगड़ा आम की खुशबू गर्मी शुरू होते बागों में घुल जाती है। बनारसी लंगड़ा की मिठास और महक के दीवाने विदेशों में हैं। बनारस के चिरईगांव में इसकी सबसे अधिक पैदावार होती है। आराजीलाइन, काशी विद्यापीठ, हरहुआ, बड़ागांव, सेवापुरी सहित आठों ब्लॉकों में इसके बगान हैं। 1700 हेक्टेयर रकबे में बनारसी लंगड़ा आम होता है। लेकिन इसमें से अधिकतर का निर्यात कर दिया जाता है।
गौरजीत पूर्वांचल का गौरव
पूर्वांचल में आम्रपाली की बैरायटी सबसे अच्छे आमों में गिनी जाती है। लेकिन अब गोरखपुर और आसपास के जिलों में गौरजीत आम अपनी धाक जमा रहा है। इस सीजन में आम की अगैती किस्म बाजार में जल्द आ जाएगी। हालांकि अभी जो भी आम बिक्री के लिए बाजार में आ रहा है वह डाल का पका नहीं है, बल्कि इस तोड़कर पकाया गया है।