जीत होती है पक्की- लोक परंपराओं को अपने आप में समेटे इस अनूठी मजार की कहानी अजब है। यहां से गुजरने वाला हर शख्स इस मजार पर पांच जूते-चप्पल मारता है। मान्यता है कि ऐसे करने से उसकी यात्रा सफल होती है। चुनाव के समय इस मजार की पूछ-परख और बढ़ जाती है। चुनाव लड़ने वाला हर प्रत्याशी इस मजार पर आता है और पांच जूते मारने की रस्म अदा करता है। माना जाता है कि इससे उसकी जीत पक्की हो जाती है।
ये भी पढ़ें- कांग्रेस में शामिल होते ही सांसद ने भाजपा पर साधा निशाना, पीएम मोदी के लिए कहा यह इसलिए कहते हैं चुगलखोर की मजार- इस मजार को लेकर कई दंतकथाएं प्रचलित हैं। जनश्रुति है कि इटावा और अटेर के राजा के बीच युद्ध कराने को लेकर राजा को अपने एक सेवक पर शक हुआ। इसके बाद राजा ने उसे पकड़वा कर इतना जूते और चप्पलों से पिटवाया कि उसकी मौत हो गयी। उसकी याद में राजा ने एक मजार का निर्माण कराया, जिसे चुगलखोर की मजार कहते हैं। कहा जाता है कि शख्स को चुगलखोरी की जो सजा राजा ने उस समय दी थी, उसका अनुसरण आज भी बदस्तूर जारी है।
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इस मार्ग से गुजरने वाले हर व्यक्ति चुगुलखोरी के अपराध का जूते मारकर सबक देता है। ऐसे में एक चुगलखोरी की सजा यह कब्र सैकड़ों वर्षों से भुगत रही है। आज यह मजार जर्जर हो गयी है। लेकिन इसका अपना महत्व है। चुनाव आते ही इस मजार की पूछ परख और बढ़ जाती है। मान्यता है कि इस मजार पर चुनाव के समय प्रत्याशी जूते या फिर चप्पल मारने के टोटके को जरूर पूरा करते हैं। गांव के निवासी बताते हैं कि पहले इस मजार पर एक पत्थर की शिला लगी थी, जिस पर लिखा था चुगलखोर की मजार। अब यह शिला तो वक्त की तलहटी में चली गयी, लेकिन जूते मारने की परंपरा अब भी जारी है।
इस मार्ग से गुजरने वाले हर व्यक्ति चुगुलखोरी के अपराध का जूते मारकर सबक देता है। ऐसे में एक चुगलखोरी की सजा यह कब्र सैकड़ों वर्षों से भुगत रही है। आज यह मजार जर्जर हो गयी है। लेकिन इसका अपना महत्व है। चुनाव आते ही इस मजार की पूछ परख और बढ़ जाती है। मान्यता है कि इस मजार पर चुनाव के समय प्रत्याशी जूते या फिर चप्पल मारने के टोटके को जरूर पूरा करते हैं। गांव के निवासी बताते हैं कि पहले इस मजार पर एक पत्थर की शिला लगी थी, जिस पर लिखा था चुगलखोर की मजार। अब यह शिला तो वक्त की तलहटी में चली गयी, लेकिन जूते मारने की परंपरा अब भी जारी है।
क्या कहते हैं स्थानीय लोग-
स्थानीय निवासियों का मानना है कि किसी को शर्मसार करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि उसको जूता मारने की सजा दे दो। इस संबंध में समाजवादी पार्टी की इटावा इकाई के अध्यक्ष गोपाल यादव कहते हैं कि इटावा में तो चुगलखोर की मजार पर जो व्यक्ति उस तरफ से गुजरता है वह उस पर जूते मारता है। लेकिन, संतकबीरनगर में माननीयों ने जो जूते चलाए उस संबंध में कुछ कह नहीं सकते। इटावा के के.के.कालेज के इतिहास विभाग के प्रमुख डा.शैलेंद्र शर्मा कहते हैं कि यदि किसी की श्रद्वा बहुत ज्यादा बढ़ जाए तो अपना सिर सामने वालों के कदमों पर रखा देता हैं। इसके विपरीत उसके प्रति घृणा बढ़ जाये तो जो शब्दों में व्यक्त ना हो सके, वह अपने पैर को उसके सिर पर लगाना चाहता है। लेकिन संतकबीर नगर की घटना इन दोनों ही स्थितियों में फिट नहीं बैठती।
स्थानीय निवासियों का मानना है कि किसी को शर्मसार करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि उसको जूता मारने की सजा दे दो। इस संबंध में समाजवादी पार्टी की इटावा इकाई के अध्यक्ष गोपाल यादव कहते हैं कि इटावा में तो चुगलखोर की मजार पर जो व्यक्ति उस तरफ से गुजरता है वह उस पर जूते मारता है। लेकिन, संतकबीरनगर में माननीयों ने जो जूते चलाए उस संबंध में कुछ कह नहीं सकते। इटावा के के.के.कालेज के इतिहास विभाग के प्रमुख डा.शैलेंद्र शर्मा कहते हैं कि यदि किसी की श्रद्वा बहुत ज्यादा बढ़ जाए तो अपना सिर सामने वालों के कदमों पर रखा देता हैं। इसके विपरीत उसके प्रति घृणा बढ़ जाये तो जो शब्दों में व्यक्त ना हो सके, वह अपने पैर को उसके सिर पर लगाना चाहता है। लेकिन संतकबीर नगर की घटना इन दोनों ही स्थितियों में फिट नहीं बैठती।