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सेना का प्रशिक्षण केंद्र बनाने को तैयार हो रही है चंबलघाटी, आर्मी जवानों को दी जाएगी ट्रेनिंग

locationइटावाPublished: Nov 16, 2019 02:12:43 pm

Submitted by:

Neeraj Patel

दशकों तक कुख्यात डाकुओं की शरणस्थली रही उत्तर प्रदेश के इटावा जिले की चंबल घाटी को सेना का प्रशिक्षण का केंद्र बनाने की तैयार हो रही है।

सेना का प्रशिक्षण केंद्र बनाने को तैयार हो रही है चंबलघाटी, आर्मी जवानों को दी जाएगी ट्रेनिंग

सेना का प्रशिक्षण केंद्र बनाने को तैयार हो रही है चंबलघाटी, आर्मी जवानों को दी जाएगी ट्रेनिंग

इटावा. दशकों तक कुख्यात डाकुओं की शरणस्थली रही उत्तर प्रदेश के इटावा जिले की चंबल घाटी को सेना का प्रशिक्षण का केंद्र बनाने की तैयार हो रही है। इस बात की तस्दीक एक सैकडों से अधिक सेना के जवानों के चंबल नदी के किनारे जंगल ट्रेनिंग करने के अलावा तीन हैलीकाप्टरों की आवाजाही मुख्य वजह मानी गई है।

सहसो थाना प्रभारी जितेंद्र कुमार शर्मा का कहना है कि सेना के अधिकारियों का जो भी मूवमेंट चंबल नदी के किनारे था वो बेहद ही गोपनीय था। इस संबध में किसी भी तरह को अधिकारिक विजिट का कोई पत्राचार अधिकारिक स्तर पर नहीं किया गया है। दोपहर 2 बजे के आसपास सेना के जवानों की चंबल नदी के किनारे आवाजाही देखी गई है। ऐसा प्रतीत होता है कि शायद सेना के जवानों की जंगल ट्रेनिंग हो रही होगी। जिसकी जानकारी सेना के स्तर पर प्रचारित करना मुनासिब नहीं समझा गया। इसी बाबत सेना की ओर से किसी भी स्तर पर जानकारी स्थानीय पुलिस प्रशासन को प्रदत्त नहीं कराई गई है। स्थानीय लोगों ने तीन हैलीकाप्टरों के चंबल नदी के उपर उड़ते हुए देखे जाने की पुष्टि भी की है लेकिन इन का मकसद क्या था यह स्पष्ट नहीं हो सका है।

इटावा जिले मे चंबल नदी किनारे उतरे करीब तीन हेलीकाॅप्टर क्षेत्र में चर्चा का विषय बने रहे। इस दौरान राहगीर चंबल पुल पर तमाशबीन बने रहे और क्षेत्र की जनता भयभीत दिखाई दी। कुछ समय पश्चात सैनिक गाड़ियों से वापस बकेवर की तरफ चले गए लेकिन प्रशासन को इस बात की भनक नहीं लग सकी। चंबल के रेत में अचानक एक साथ आधा दर्जन हेलीकाॅप्टर उतरने से क्षेत्र की जनता आश्चर्य चकित रह गई। चंबल पुल पर राहगीरों का तांता लग गया। इसी बीच कुछ समय में हेलीकाॅप्टर तो हवा में उड़ गए लेकिन चंबल नदी किनारे फौजी ड्रेस में करीब एक सैकडा जवानों की फौज दिखाई दी।

सभी जवान एक से डेढ घंटे तक रेत में चंबल पुल से करीब दो किमी ऊपर नदा मिटहटी गांव के नीचे खडे रहे। तदोपरांत दो टोली बनाकर चंबल पुल पर पहुंचे और इसी बीच चंबल पुल पर पहुंची चार गाड़ियों में सवार होकर चकरनगर की तरफ चले गए। इस बीच जब एक स्थानीय पत्रकार द्वारा एक सैनिक से बात की गई, तो उसने अपना नाम पता बताने से इंकार किया और सिर्फ इतना बताया कि वह सैनिक है व कानपुर से रिहर्सल के लिए आए हैे। चंबल किनारे उतरे हेलीकाॅप्टर क्षेत्र की जनता में चर्चा का विषय बने रहे।

ट्रेनी दरोगाओं को दिया जा चुका काम्बिंग का प्रशिक्षण

ऐसा माना जा रहा है कि खूंखार डाकुओं की शरणस्थली के तौर पर दुनिया भर में कुख्यात मानी जाने वाली चंबल घाटी को भौगोलिक धरातल का अनुभव सेना के प्रशिक्षण के लिए मुफीद हो सकता है। इसी कारण हो सकता हो चंबल नदी में एक सैकड़ा से अधिक जवानों को प्रशिक्षण दिलाया गया हो। इससे पहले पुलिस महानिरीक्षक प्रशिक्षण विद्यालय मुरादाबाद के निर्देश पर कुख्यात डाकुओं से ताल्लुक रखने वाली चंबल घाटी के बीहडों को पुलिस सब इंस्पेक्टरों को प्रशिक्षण दिलाया जा चुका है। इटावा की भौगोलिक विविधता को अब पुलिस प्रशिक्षण में भी प्रदेश में जगह मिली है। यह पहला मौका है जब दस्यु सरगनाओं की शरणस्थली कहे जाने वाले यमुना और चंबल के बीहड में उप निरीक्षक की ट्रेनिंग ले रहे 267 ट्रेनी दरोगाओं को काम्बिंग का प्रशिक्षण दिया जा चुका है।

विशेष प्रशिक्षण का कोर्स नागरिक पुलिस में शामिल

वर्ष 2015 व 2017 में चित्रकूट व उसके आसपास के इलाकों में बाबरिया गिरोह के सक्रिय होने व पुलिस पर हुए हमलों को ध्यान में रखते हुए बीहडं में विशेष प्रशिक्षण का कोर्स नागरिक पुलिस में शामिल किया गया है। पुलिस ट्रेनिंग स्कूल मुरादाबाद में इसके लिए विशेष प्रबंध किए। चंबल घाटी मे एक वक्त छोटे बड़े सैकड़ों की तादात में डाकुओं को आंतक हुआ करता था लेकिन आज के समय मे पुलिस की प्रभावी कार्यवाहियों के नतीजों में छोटे बड़े डाकुओं का सफाया हो चुका है। उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान का बीहड डाकुओं की खास विशेष पनाहगाह बना रहा है, जिसमें अनगिनत डाकुओं को शरण मिला करती रही है। एक समय चंबल मे रामआसरे फक्कड़, निर्भय गुर्जर, जगजीवन परिहार, रज्जन गूर्जर, अरविंद गुर्जर, रामवीर सिंह गुर्जर, कुसमा नाइन, लवली पांडे, सीमा परिहार, सरला जाटव, नीलम गुप्ता आदि का खासा आंतक रहा है।

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