इटावा

डकैतों के खौफ के बगैर कीजिए चम्बल की खूबसूरती का दीदार, इन जलमार्गों से पर्यटक निहारेंगे बीहड़ की खूबसूरती

उत्तर प्रदेश सरकार ने चम्बल घाटी अब ईको टूरिज्म का हब बनाने के लिए पर्यावरणीय संस्था सोसायटी फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर से करार किया है…

इटावाNov 12, 2018 / 04:15 pm

Hariom Dwivedi

डकैतों के खौफ के बगैर कीजिए चम्बल की खूबसूरती का दीदार, इन जलमार्गों से निहारिये बीहड़ की खूबसूरती

दिनेश शाक्य
इटावा. कभी फूलन देवी, निर्भय गुर्जर, रज्जन गुर्जर, रामवीर गुर्जर व फक्कड़ गुरू जैसे कुख्यात डाकुओं की पनाहगाह रही चम्बल घाटी अब ईको टूरिज्म का हब बनने जा रही है। उत्तर प्रदेश वन विभाग ने पर्यावरणीय संस्था सोसायटी फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर से करार किया है, जिसके तहत यहां आने वाले पर्यटक दुर्लभ घड़ियाल, मगरमच्छ, डाल्फिन व विदेशी पक्षियों के साथ खूबसूरत बीहड़ का दीदार कर सकेंगे। इसके लिए चार मोटरबोट की व्यवस्था की गई है जो तीन स्थानों पर चलेंगी।
आगरा चम्बल सेंचुरी क्षेत्र के उप वन संरक्षक आनंद कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इको पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में काफी प्रयास कर रहे हैं। राष्ट्रीय चम्बल सेंचुरी में उपलब्ध कराया जा रहा इको पर्यटन इसी दिशा में एक कदम है। वन विभाग और सोसाइटी फॉर नेचर कंजर्वेशन के सहयोग से चम्बल सेंचुरी क्षेत्र में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिये योजना शुरू कर दी गई है। इससे पर्यटक चम्बल के सौदर्य को निहार सकेंगे।
पर्यावरणीय संस्था सोसायटी फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर के प्रबंधक संजीव चौहान ने बताया कि पिछले कई वर्षों से यह योजना विचाराधीन थी। अब वन विभाग ने इसके लिए पहल की है। इसमें जलीय जीवों, विदेशी पक्षियों के साथ चंबल घाटी के मंदिर व पुराने ऐतिहासिक किलों को भी दिखाए जाने की योजना है। इसके लिए इटावा के श्यामनगर में एक बुकिंग केंद्र खोल दिया गया है। चार मोटरबोट तैनात कर दी गई हैं। पर्यटकों को लाइफ जैकेट के साथ दूरबीन व नेचर गाइड भी उपलब्ध कराया जाएगा।

पर्यटक इन जलमार्गों में करेंगे नौका भ्रमण
संजीव चौहान ने बताया कि 28 किलोमीटर के नौका भ्रमण में 3 जलमार्ग बनाए गए हैं। पहला सहसों से बरचौली (5 किलोमीटर), दूसरा भरेह से पथर्रा (8 किलोमीटर) और तीसरा भरेह से पंचनदा (15 किलोमीटर) तक ले जाया जायेगा। दो मोटर बोटों में 16 लोगों के बैठने का प्रबन्ध किया गया है। पर्यटकों के लिए लाइफ जैकेट के साथ ही ट्रेंड स्टाफ के साथ साथ नौका भ्रमण कराया जाएगा। सहसों से बरचौली भ्रमण के दौरान डॉल्फिन, मगरमच्छ, घड़ियाल, कछुए व प्रवासी व अप्रवासी पक्षी आकर्षण का केंद्र होंगे, वहीं भरेह से पथर्रा के बीच जलीय जीवों और पक्षियों के साथ भरेह किला एवं भारेश्वर महादेव मंदिर का दीदार भी कराया जाएगा। इसके अलावा भरेह से पचनदा भ्रमण के दौरान महाकालेश्वर मंदिर का दर्शन कराया जाएगा।
पर्यावरण संरक्षण के लिए ईको टूरिज्म जरूरी
वन संरक्षण अधिकारी डॉ. राजीव चौहान ने बताया कि ईको पारिस्थितिकी पर्यटन का एक विशेष रूप है जो पर्यटन के प्राकृतिक पर्यावरण एवं संसाधनों पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को काफी हद तक कम करते हुए पर्यटन को एक नया आयाम देता है। पर्यावरण एवं प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के विभिन्न अवयवों की स्थिति में सतत सुधार एवं विकास करते हुए निरंतर जागरूकता रखने के लिए ईको पर्यटन मनोरंजन के साथ-साथ ही पर्यावरण संरक्षण की दिशा में आवश्यक हो गया है। वहीं, इटावा के वन क्षेत्राधिकारी सर्वेश भदौरिया ने कहा कि इको पर्यटन के मूलभूत उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए प्राकृतिक क्षेत्रों के भ्रमण के समय मार्गदर्शक सिद्धांतों को ध्यान में रखना आवश्यक है।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.