निर्माण कार्य पर प्रतिबंध वैसे यह कार्यालय काफी अरसे से जर्जर हालत में चला आ रहा था। ऐसा इसलिए क्योंकि किराए के भवन में स्थापित होने के कारण कांग्रेस कार्यालय पर किसी भी तरह का निर्माण कार्य कराया जाना प्रतिबंधित था। इसी वजह से इसकी स्थिति जर्जर होती चली जा रही थी जो अब भारी बरसात के कारण ध्वस्त हो गयी।
स्वतंत्रता आंदोलन के दिन कांग्रेस कार्यालय के ध्वस्त हो जाने के बाद भी कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारियो ने यहां पहुंच कर राष्ट्रीय ध्वज को पहराया। लेकिन कार्यालय के मुख्य कमरे धवस्त हो जाने के कारण किसी तरह की बेठक नहीं कर सके।
नहीं प्रभावित हुआ काम कांग्रेस कार्यालय की व्यवस्था देखने वाले व्यवस्था अधिकारी मोहम्मद सरवर अली का कहना है कि भारी बरसात के कारण कांग्रेस कार्यालय ध्वस्त हो गया है। यह कार्यालय अर्से से जर्रर हालात में था। उनका कहना है कि आजादी से पहले साल 1929 से यहां पर नगर पालिका के ऊपरी भवन मे काग्रेंस कार्यालय संचालित है। काग्रेंस पार्टी के शहर अध्यक्ष मोहम्मद राशिद का कहना है कि कार्यालय का एक कमरा बरसात के कारण ध्वस्त हो गया है। कार्यालय का कार्य इससे कोई प्रभावति नहीं हुआ है।
इस तरह निपटे थे क्रांतिकारियों से कांग्रेस की स्थापना का खाका उत्तर प्रदेश के इटावा में 30 मई 1857 में क्रांतिकारियों से निपटने के लिये गठित की गई रक्षक सेना की सफलता से प्रेरित हो कर की गई थी। आजादी पूर्व इटावा के कलेक्टर रहे ए.ओ. हयूम ने इटावा में क्रांतिकारियों से निपटने में कामयाबी पाई। रक्षक सेना से प्रेरणा लेकर 28 दिसंबर 1885 को बंबई में कांग्रेस की स्थापना अंग्रेज सरकार के लिए सेफ्टीवाल्व के रूप में की गई थी।
इटावा के कलेक्टर ए.ओ. हयूम ने इटावा में 30 मई 1857 को राजभक्त जमीदारों की अध्यक्षता में राजभक्त ठाकुरों की एक स्थानीय रक्षक सेना बनाई थी। जिसका उददेश्य इटावा में शांति स्थापित करना था। इस सेना की सफलता को देखते हुए 28 दिसंबर 1885 को मुबंई में ब्रिटिश प्रशासक हयूम ने कांग्रेस की नींव रखी।