विद्यालय में बच्चों की कमी इस विद्यालय का हाल ऐसा है कि कुल मिलाकर 10 के आसपास छात्र पढ़ते हैं। सभी बच्चों को सारे विषय पढ़ाने की जिम्मेदारी भी एक ही शिक्षक पर है। गांव वाले इस बात की शिकायत करते है कि प्रधानाचार्य हफ्ते या 15 दिन में आते हैं और रजिस्टर में हाजिरी लगाकर चले जाते हैं। शिक्षक सर्वेश कुमार सफाई देते हैं कि मजदूर वर्ग के बच्चे हैं जो पढ़ने ही नहीं आते हैं। हैरान करने वाली बात है कि जिले की माध्यमिक शिक्षा के लिए जिम्मेदार डीआइओएस का कहना है कि उन्हें इसकी जानकारी ही नहीं है।
इटावा के जिला विद्यालय निरीक्षक राजू राणा का कहना है कि सरकारी स्कूलों मे सजृति पद के मुकाबले बहुत कम शिक्षकों की तैनाती है। लगातार शासन को इस बाबत बताया जा रहा है कि इसके बावजूद शिक्षकों की तैनाती के बारे से ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
शासन स्तर से शिक्षकों की तैनाती नहीं हो पाई इटावा जिले में 21 राजकीय माध्यमिक विद्यालय है। इन सभी विद्यालयों में जितने पद अध्यापकों के सृजित किए गए हैं उसके मुताबिक शासन स्तर से कहीं भी शिक्षकों की तैनाती अभी तक नहीं हो पाई। जहां-जहां छात्र संख्या कम नजर आ रही है, वहां ऐसी स्थितियां बताई जा रही हैं कि अभिभावक अपने बच्चों का प्रवेश निजी स्कूलों में कराना मुनासिब समझता है और इसीलिए सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या लगातार कम होती चली जा रही है।