उत्तर प्रदेश किसान सभा के प्रांतीय महामंत्री मुकुट सिंह ने आज यहां पत्रकारों से वार्ता में बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में बिना मीटर वालों पर 25 फीसदी, किसानों के ट्यूबवैल पर 14 फीसदी, शहरी घरेलू 15 फीसदी, व्यापारियों-दुकानदारों पर 9 फीसदी, उद्योग पर 5 फीसदी की वृद्वि के साथ ही भवन निर्माण के लिए अस्थायी कनेक्शन पर 8 रूपये प्रति यूनिट कर वृद्वि को भाजपा सरकार ने लागू कर दिया है। अन्य प्रदेशों की अपेक्षा यहां सर्वाधिक महंगी बिजली है, योगी सरकार ने दूसरी बार यह वृद्वि की है। शहरों व ग्रामीण क्षेत्रों में अंधाधुंध बिजली कटौती, स्थानीय फाल्ट, फुके ट्रांसफार्मर समय से ना बदलने, कृषि क्षेत्र में 10 घण्टे से भी कम बिजली सप्लाई से इस मौसम में चहुंओर हाहाकार है। किसान नेता ने बताया कि इस वृद्वि को सरकार ने आनन-फानन में लागू कर दिया जबकि आयोग के ही टैरिफ के अनुसार उपभोक्ताओं का बिजली कम्पनियां बकाया रूपये 13337 करोड़ वापस नहीं कर रही है, इस पर योगी सरकार खामोश है।
उन्होंने बताया कि तथाकथित घाटा पूरा करने-बकाया वसूली और चोरी रोकने के नाम पर हेवी पैनल्टी, एफआईआर, जेल तथा संगणना में हेराफेरी, तेज गति के मीटरों से ज्यादा बिलिंग आदि से जनता का उत्पीड़न और अवैध वूसली की जा रही है। सरकार घाटे का रोना रो रही है किंतु सरकारी क्षेत्र में उत्पादित सस्ती बिजली ना लेकर देशी-विदेशी कारपोरेटस से महंगी बिजली खरीद रही हैं। बिजली के निजीकरण की बड़ी साजिश रची जा रही है। उन्होंने बताया कि बिजली विभाग में बड़े पैमाने पर पद रिक्त है। ठेका व संविदा पर काम लिया जा रहा हैं अर्जित वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है।