डा. सुशील के सराहनीय कदम को लेकर चिकित्सा अधीक्षक प्रो डा. आदेश कुमार ने प्रमाण पत्र देकर सम्मानित भी किया। सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी के सीएमएस डा. आदेश कुमार ने बताया कि एटा की रहने वाली 15 साल की लड़की थैलेसीमिया रोग से पीड़ित है, और कोरोना पाजटिव है। जिसके घर में कोई ब्लड देने वाले नहीं हैं। कोरोना काल में अस्पताल में भी ब्लड की कमी है जब इस बात का पता डा.सुशील को लगा तो उन्होंने ब्लड डोनेशन का निर्णय लिया। एक यूनिट ब्लड डोनेट करके डोनर कार्ड सौंपा दिया।
7 साल से कर रहे ब्लड डोनेशन :- पीड़ित 15 साल की लड़की को ब्लड डोनेट करने वाले डा. सुशील यादव ने बताया कि पिछले 7 साल से वे लगातार ब्लड डोनेशन कर रहे है। वैसे तो वो अपने जन्मदिन 2 फरवरी को हर साल ब्लड डोनेशन करते है। लेकिन इसके अलावा साल में 1-2 बार और ब्लड डोनेट करने से पीछे नहीं हटते है। अगर किसी जरूरतमंद को जरूरत पड़े तो वे हर समय ब्लड डोनेट करने को तैयार रहते है।
उन्होंने बताया कि इस समय एक महीने पहले कोरोना ड्यूटी कर चुके है। अब एक जून से दुबारा कोरोना आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी 14 दिन के लिए फिर से ड्यूटी करेंगे। ड्यूटी पर जाने से पहले ब्लड डोनेशन किया हैं क्योंकि बाद में क्वारंटाइन रहने के कारण रक्तदान नहीं कर पाता।
छवि में किया बदलाव :- सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी में स्थापित कोविड अस्पताल में भर्ती कोरोना पाजिटिव लड़की को ब्लड की आवश्यकता पड़ने पर विश्वविद्यालय के मेडिसिन विभाग के असिस्टेंट प्रो. डाक्टर सुशील कुमार यादव ने खून दे कर उसकी जान बचाने काम कर के चिकित्सा सेवा में उदाहरण सेवाभाव का प्रस्तुत किया है। इसके इतर सामान्यता डाक्टरों को खून चूसने वालों के तौर पर देखा जाता है लेकिन डाक्टर सुशील ने डाक्टर की छवि में बदलाव कर दिया है।
सीख ले अन्य डाक्टर :- डा.सुशील कुमार के ब्लड डोनेट करने वाले मानवता भरे कदम को लेकर सैफई मेडिकल यूनीवसिर्टी के कुलपति प्रो.राजकुमार कहते है कि सभी डाक्टरों को डा.सुशील से सीख लेना चाहिए। डाक्टरों का पेशा सेवाभाव का होता है, जो पीड़ित होता है वो संकट की घड़ी में डाक्टरों को भगवान मानता है। ऐसे मे डाक्टरों को मदद के लिए हमेशा आगे आना चाहिए।