इटावा शहर की एक महिला ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की न्यायालय में गुहार लगाई कि बीते 12 मार्च को नामजद लोगों ने उसके घर से कीमती सामान चोरी किया। वहीं उन लोगों ने असलहों के बल पर डराया व धमकाया। और फिर घर का काफी माल वे ले गए। इसकी शिकायत जब थाना फ्रेंड्स कालोनी में की गई तो थाना प्रभारी ने दारोगा सिपाहियों को भेजकर नामजद लोगों को बुलवाया और हम लोगों को अपमानित कराया। हमारे लोगों के खिलाफ अभियोग दर्ज करवाकर थाना प्रभारी तथा दारोगा ने पहले पति को पीटा। इसके बाद उसे व उसकी मां को पीटा।
इस दौरान दोनों ने अशोभनीय हरकतें करते हुए लज्जा भंग करने के प्रयास से थाना में स्थित कमरे में मारते-पीटते हुए खींच ले जाने का प्रयास किया। चीख-पुकार होने पर अन्य पुलिसजनों तथा आसपास के लोगों की भीड़ जमा होने पर उन लोगों ने छोड़ा। इसके अगले दिन एसएसपी को सारी व्यथा बताकर कार्रवाई करने की गुहार लगाई परंतु अभी तक जांच पूरी नहीं हो सकी।
आईजी से लेकर मुख्यमंत्री, महिला आयोग तथा मानवाधिकार आयोग में प्रार्थनापत्र प्रेशित किए हैं, परंतु कोई सुनवाई नहीं हुई। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पत्रवली का अवलोकन करने के उपरांत आदेश किया कि प्रथम दृष्टया आरोप सुनियोजित तरीके अपराध किया जाना प्रतीत होता है। अतः विवेचना कराया जाना न्यायोचित है। इटावा के सीओ सिटी डा. अंजनी कुमार चतुर्वेदी से इस संबंध में जानकारी किए जाने पर उन्होंने कहा कि अदालत के आदेश की प्रति मिल गई है। अदालत के आदेश के क्रम में कार्यवाही सुनिश्चित की जा रही है।