खरीफ की फसल के लिए बरसात की बेहद जरूरत है। जब पानी बरसेगा तभी खेत तैयार होंगे और फसलों की बुवाई शुरू हो जाएगी। किसान पिछले एक माह से आसमान की ओर टकटकी लगाए बैठा है कि बरसात हो तो खेतों में कामकाज शुरू करे। जिले में एक लाख चार हजार हेक्टेयर भूमि पर खरीफ की फसल बोई जाती है। इसमें से तो आधी भूमि पर धान की पैदावार होती है। धान के लिए सबसे ज्यादा पानी भी चाहिए होता है, लेकिन पानी एक बूंद भी नहीं है। ऐसे में कुछ किसानों ने तो नहर व रजबहों के पानी से खेत तैयार करने की शुरुआत कर दी है, ताकि वे फसल की बुवाई शुरू कर सकें।
किसान अमर सिंह का कहना है कि पिछले एक सप्ताह से बादल तो रोज हो रहे हैं लेकिन बरसात नहीं हो रही है। बादलों को देखकर ऐसा लगता है कि झमाझम बारिश होगी लेकिन बादल बिना बरसे ही चले जाते हैं। बादलों से बरसात तो नहीं हो रही है लेकिन किसानों की उम्मीदों पर पानी जरूर फिर रहा है। किसान अशोक कुमार का कहना है कि सावन के महीने तक तो झमाझम बरसात हो जाती थी। इसके विपरीत इस वर्ष अभी बरसात की शुरूआत भी नहीं हुई है। अब सावन के महीने में चार दिन शेष रह गए हैं। लेकिन बरसात कहीं दिखाई नहीं दे रही है। ऐसे में बिन पानी के किसान कैसे फसल की बुवाई करेगा।
साल बरसात
साल 2008 297.34 मिलीमीटर साल 2009 63.54. मिलीमीटर साल 2010 136.77. मिलीमीटर साल 2011 231.20. मिलीमीटर साल 2012 145.28. मिलीमीटर साल 2013 162.45. मिलीमीटर