पुलिस सूत्रों के अनुसार साल 2006 मे रक्षाबंधन के ही दिन चंबल घाटी के खूंखार दस्यु सरगना सलीम गुज्जर और उसकी प्रेमिका गीता जाटव को उत्तर प्रदेश में औरैया जिले के अयाना इलाके में कैथोली के जंगलों में हुई एक मुठभेड में मार गिराया गया था। रक्षा बंधन के दिन हुई मुठभेड़ के बारे में पुलिस की तरफ से कहा गया था कि सलीम गूर्जर अपनी बहन से राखी बंधवाने आया हुआ था लेकिन उससे पहले पुलिस को इस बात की भनक लग गई । उसके बाद पुलिस ने मुठभेड के बाद सलीम और गीता दोनों को मार गिराया था ।
कानपुर रेंज के डीआईजी दलजीत चौधरी की अगुआई वाली पुलिस टीम ने मुठभेड़ कर मौके से एक मशीन गन, एक डबल बैरल बंदूक और भारी मात्रा में कारतूसो को बरामद किया। सलीम अपने सिर पर 1.5 लाख रुपये का नकद इनाम था ।
इटावा के एसएसपी रहने के दरम्यान दलजीत सिंह चौधरी के अगुवाई में चंबल के कई नामी खंूखांर डाकुओं का सफाया किया गया । आज के इटावा और आसपास के लोगों के जहन में दलजीत सिंह के समय डाकुओं के हुए खात्मे की यादे लोगों के जहन में जुडी हुई है । इन्ही में से एक सलीम गूर्जर का भी एनकाउंटर भी रहा है ।
इस मुठभेड के बाद तत्कालीन पुलिस महानिदेशक बुआसिंह ने मुठभेड़ में शामिल 10 एसओजी कर्मियों के लिए पदोन्नति की घोषणा की रही। सलीम गुर्जर राजस्थान, यूपी, मध्यप्रदेश और दिल्ली में अपहरण और अपराध के अन्य मामलों के 100 से अधिक मामलों मे पुलिस के निशाने पर था ।
सलीम के साथ मारी गई गीता जाटव इटावा जिले के सहसो इलाके के रानीपुरा गांव की रहने वाली थी जिसका 28 अगस्त 2005 मे अपहरण हो गया था गीता के भाई चंद्रसेन ने अपनी बहन के अपहरण का मुकदमा दर्ज करवाया था लेकिन सलीम और जगजीवन परिहार के गैंग के बीच हुई मुठभेड के बाद मुक्त हुए एक किशोर के बयान के बाद गीता को डकैत मान पुलिस ने उस पर इनाम घोषित कर दिया ।
सलीम गुर्जर मूलरूप से जालौन जिले के रमपुरा इलाके के बिलौड गांव का रहने वाला था । एक समय सलीम गैंग चंबल मे काफी खूंखार गैंग के तौर पर हुआ करता था । सलीम की चंबल के दूसरे खंूखार डकैत जगजीवन परिहार से गैंगवार चला करती थी इसी गैंगवार के बीच कई दफा सलीम गैंग और जगजीवन के बीच हुई गोलीबारी मे सलीम गैंग के दर्जनों सदस्य मौत के घाट उतारे गये ।
मुहर लगाओ.. पर, वरना गोली खाओ छाती पर..कभी चंबल घाटी में चुनाव के दौरान ऐसे नारों की गूंज हुआ करती थी। चंबल हर डकैत ने कमोवेश अपने करीबी नाते रिश्तेदार को चुनाव जितवाने के लिए फरमानो को सहारा लेने मे गुरेज नही किया उन्ही में से एक सलीम गूर्जर भी रहा है । उस वक्त में बेहद खूंखार सलीम गुर्जर पर करीब डेढ लाख के आसपास इनाम घोषित हुआ करता था इसी के चलते क्वारी नदी की गोद में बसे विंडवा कला गांव में दस्यु सलीम गुर्जर ने अपनी बहन को 1995 में प्रधान बनवाया तो 2000 में अपने बहनोई को प्रधानी का ताज पहनवाने मे कामयाबी हासिल कर ली ।