अन्य पिछड़ी जाति से ताल्लुक रखने वाली गीता शाक्य के राज्यसभा में भेजे जाने के भारतीय जनता पार्टी के निर्णय से न केवल पार्टी बल्कि दूसरे दलों के लोग भी हैरत में हैं। भाजपाई भी आश्यर्च में हैं, क्योंकि किसी को भी उनके राज्यसभा भेजे जाने की उम्मीद नहीं थी। राजनीति के जानकारों की मानें तो गीता शाक्य के जरिए भाजपा की नजर शाक्य, कुशवाहा मौर्य और सैनी मतदाताओं पर है, जिनके ज्यादातर वोट सपा के खेमे में जाते रहे हैं। कानपुर देहात, औरैया, फर्रुखाबाद, कन्नौज, मैनपुरी, एटा, इटावा, फिरोजाबाद और आगरा आदि जिले की कई विधानसभा सीटों पर शाक्य मतदाताओं की भूमिका निर्णायक तौर पर देखी जाती रही है। इसी आंकड़े को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने इस दफा ऐसा कदम उठाया है जिससे सत्ता के साथ-साथ में विपक्ष के नेता भी हैरत में दिखाई दे रहे हैं।
बहुजन समाज पार्टी और भाजपा ने मैनपुरी संसदीय सीट पर हमेशा ही अपना परचम फहराने की कोशिश की, लेकिन यादव लैंड में किसी दल को कामयाबी नहीं मिल सकी। अब गीता के जरिये इस उम्मीद को सत्तारूढ़ भाजपा पूरी करने का सपना देख रही है। अगर दूसरे नजरिये से बात की जाए तो फर्रुखाबाद संसदीय सीट से 1977 और 1980 में दयाराम शाक्य एमपी भाजपा जनसघ के सहयोग से एमपी बन चुके है। इसी तरह से 1989, 1991, 1996, 1998 लगातार भाजपा से महादीपक सिंह शाक्य एमपी बने है, लेकिन उसके बाद जीत का यह सिलसिला टूट गया।
कौन हैं गीता शाक्य
गीता शाक्य औरैया की जिलाध्यक्ष रही हैं। बिधूना के हमीरपुर गांव में इनका मायका और भरथना के रमपुरा सिंहुआ गांव उनकी ससुराल है। वह 2005 से 2010 तक प्रधान रहीं हैं। उनके पति मुकुट सिंह भी प्रधान रह चुके हैं। सपा से राजनीति करने वाली गीता वर्ष 2009 के उपचुनाव में सपा की टिकट पर बिधूना विधानसभा क्षेत्र से चुनाव भी लड़ चुकी हैं। बिधूना में शाक्य को वोटों को प्रभावित करने के लिए सपा ने उन्हें टिकट दिया था। इसके बाद सपा छोड़कर वह भाजपा शामिल हो गई थीं। वर्ष 2012 में भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ीं और दूसरे पायदान पर रही थीं। उन्हें उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद का करीबी माना जाता है। सपा में रहते हुए उन्हें शिवपाल का करीबी माना जाता था। स्नातक पास गीता के परिवार में एक बेटा और एक बेटी है। बेटा बीएसएफ के इंजीयरिंग कोर में है और बेटी की शादी हो चुकी है। गीता के राज्यसभा उम्मीदवार घोषित किये जाने के बाद उनके बाद सिंहुआ मे जोरदारी खुशी देखी जा रही है । हर कोई अपनी ओर से खुशी जता रहा है।
गीता शाक्य औरैया की जिलाध्यक्ष रही हैं। बिधूना के हमीरपुर गांव में इनका मायका और भरथना के रमपुरा सिंहुआ गांव उनकी ससुराल है। वह 2005 से 2010 तक प्रधान रहीं हैं। उनके पति मुकुट सिंह भी प्रधान रह चुके हैं। सपा से राजनीति करने वाली गीता वर्ष 2009 के उपचुनाव में सपा की टिकट पर बिधूना विधानसभा क्षेत्र से चुनाव भी लड़ चुकी हैं। बिधूना में शाक्य को वोटों को प्रभावित करने के लिए सपा ने उन्हें टिकट दिया था। इसके बाद सपा छोड़कर वह भाजपा शामिल हो गई थीं। वर्ष 2012 में भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ीं और दूसरे पायदान पर रही थीं। उन्हें उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद का करीबी माना जाता है। सपा में रहते हुए उन्हें शिवपाल का करीबी माना जाता था। स्नातक पास गीता के परिवार में एक बेटा और एक बेटी है। बेटा बीएसएफ के इंजीयरिंग कोर में है और बेटी की शादी हो चुकी है। गीता के राज्यसभा उम्मीदवार घोषित किये जाने के बाद उनके बाद सिंहुआ मे जोरदारी खुशी देखी जा रही है । हर कोई अपनी ओर से खुशी जता रहा है।
पति बोले- किसी करिश्मे से कम नहीं
गीता के पति मुकुट सिंह शाक्य भाजपा की ओर से मिले राज्यसभा टिकट के तोहफे से गदगद नजर आ रहे हैं। वो कहते हैं कि भाजपा की उनके जैसे अदने से कार्यकर्ता की भी अहमिहत समझ कर उनको राज्यसभा भेजा है। यह उनके लिए किसी करिश्मे से कम नहीं है।
गीता के पति मुकुट सिंह शाक्य भाजपा की ओर से मिले राज्यसभा टिकट के तोहफे से गदगद नजर आ रहे हैं। वो कहते हैं कि भाजपा की उनके जैसे अदने से कार्यकर्ता की भी अहमिहत समझ कर उनको राज्यसभा भेजा है। यह उनके लिए किसी करिश्मे से कम नहीं है।