ट्रामा सेंटर में मंत्री के पहुंचते ही मरीज व उनके तीमारदारों ने शिकायत करना शुरू कर दी। 3 घंटे से मरीज पड़ा है, न ही कोई देखरेख करने वाला है और ना ही दवाइयां दी जा रही हैं। कई लोगों ने मंत्री की शिकायत की कि यूनिवर्सिटी में दवाइयां पूरी तरह से खत्म हो गई है, इसलिए एक-दो दवाइयां दी जाती हैं। मंत्री ने पूरे वार्ड में घूम कर मरीजों से वार्ता की। अधिकांश मरीजों ने शिकायत की है कि वार्ड में वार्ड ब्वाय ना होने पर भी मंत्री ने कुलसचिव से वार्ता की। इतनी बड़ी यूनिवर्सिटी है और स्टाफ की समस्या है। यह तो बहुत ही गलत है।
उसके बाद ट्रामा सेंटर के आईसीयू वार्ड में बारीकी से हर एक वार्ड पर जाकर जानकारी ली । मंत्री ने टायलेट में जाकर देखा गंदगी पाई जाने पर नाराजगी जाहिर की । बाथरूम में पानी नहीं आ रहा था इस पर सवाल पूछा तो कुलसचिव नहीं दे पाए संतुष्ट जवाब । मंत्री ने कुलसचिव से कोल्ड फैकल्टी के बारे में जानकारी ली और कुल कार्यरत कितने डाक्टर हैं। कुलसचिव ने बताया यहां पर जून में मेरी पोस्टिंग की गई है तब से लेकर अभी तक 30 से 32 डाक्टर छोड़ कर जा चुके हैं। मंत्री ने पूछा ऐसा क्यों है जो सैफई से छोड़कर डाक्टर से जा रहे हैं बड़ी संख्या में फैकल्टी के पद रिक्त हैं इनको क्यों नहीं भरा जा रहा है। मंत्री जाते समय भी कुलसचिव से यह बोल कर गए कि आपके यहां यूनिवर्सिटी में व्यवस्थाएं ठीक नहीं है अधिकांश शिकायतें ही शिकायतें हैं इनको सुधार किया जाए और इसकी रिर्पोट मुख्यमंत्री को जाकर सौंपेंगे।