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मुलायम परिवार का जिला पंचायत पर कब्जा बरकरार, मुलायम के भतीजे अभिषेक यादव जीते निविर्रोध

locationइटावाPublished: Jun 26, 2021 05:37:15 pm

Submitted by:

Neeraj Patel

अभिषेक यादव ने ही केवल जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर एक मात्र नामांकन किया

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Mulayam singh family retain possession of Zilla Panchayat

इटावा. समाजवादी गढ़ में एक बार फिर से जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर मुलायम परिवार का कब्जा हो गया। समाजवादी पार्टी के अधिकारिक उम्मीदवार अभिषेक यादव ने ही केवल जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर एक मात्र नामांकन किया है उससे उनका निविर्रोध निर्वाचन तय है। अपर जिलाधिकारी और उप जिला निर्वाचन अधिकारी जयप्रकाश ने बताया कि शनिवार दोपहर अभिषेक यादव ने अपना नामांकन करने के लिए पहुंचे। जहां पर उन्होंने जिला निर्वाचन अधिकारी श्रुति सिंह के समक्ष चार सेटों में अपना नामांकन किया। 29 जून को अधिकारिक तौर पर जांच के बाद दोपहर 3 बजे के बाद विजयी प्रमाण पत्र प्रदान कर दिया जाएगा। अभिषेक यादव के निर्विरोध निर्वाचित होने के बाद उनके सरकारी आवास पर जश्न का माहौल बन गया। हर ओर ढोल नगाड़े बजने शुरू हो गए। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता निर्विरोध निर्वाचित जिला पंचायत अध्यक्ष अभिषेक यादव को बधाई देने में जुट गए।

समाजवादी पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के चचेरे भाई अभिषेक यादव एक बार फिर से निर्विरोध इटावा के जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हो गए। अभिषेक यादव की जीत पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष गोपाल यादव ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेता केवल झूठ पर झूठ बोलते है जिसका परिणाम इटावा में दिखाई दिया है। केवल एक सीट ही भाजपा उम्मीदवारों को मिल सकी है। सबसे हैरत की बात तो यह है कि भारतीय जनता पार्टी के दावे के बावजूद भी कोई भी उम्मीदवार भारतीय जनता पार्टी से नामांकन पत्र खरीदने की हैसियत में भी नहीं दिखाई दिया जबकि पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने इस बात का दावा किया था कि इटावा जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर उनकी पार्टी का प्रतिनिधि काबिज होगा।

1989 से जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर मुलायम परिवार या फिर समाजवादी पार्टी का कब्जा बरकरार बना हुआ है। उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए एक बार फिर से अभिषेक यादव जिला पंचायत के निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित हो गए हैं। निर्विरोध निर्वाचित होने के बाद अभिषेक यादव ने अपनी जीत का श्रेय इटावा की जनता को दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारतीय जनता पार्टी के विरोध के चलते समाजवादी पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों को इटावा में बड़े पैमाने पर जीत मिली है जिसके नतीजे के तौर पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी अपना कोई उम्मीदवार भी घोषित नहीं कर पाई।

अभिषेक यादव को बधाई देने के लिए सैफई के ग्राम प्रधान रामफल बाल्मीकी भी पहुंचे । उनका कहना है कि यह क्रांतिकारी जमीन है अभिषेक यादव की जीत के रूप में भाजपा सरकार के अंत की शुरुआत हो गई है। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के प्रदेश महासचिव रघुराज सिंह शाक्य दावा करते हैं कि समाजवादी पार्टी और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के संयुक्त उम्मीदवार अभिषेक यादव को दोनो दलों के गठबंधन का फायदा मिला है।

कई वर्षों से मुलायम परिवार का कब्जा चला आ रहा बरकरार

इटावा में समाजवादी पार्टी और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया ने मिलकर के जिला पंचायत सदस्यों का चुनाव लड़ा है जिसमें 20 सदस्य जीत करके आए है जब कि बहुजन समाज पार्टी और भारतीय जनता पार्टी का एक एक सदस्य निर्वाचित हुआ है, इसके इतर दो निर्दलीय सदस्यों की भी जीत हुई है। 1989 से इटावा जिला पंचायत अध्यक्ष सीट पर मुलायम परिवार का कब्जा बरकरार चला आ रहा है। इटावा की जिला पंचायत सीट पर वर्ष 1989 से समाजवादी पार्टी का कब्जा बरकरार है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सदस्य रामगोपाल यादव, प्रसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव और पूर्व सांसद राम सिंह शाक्य जिला परिषद अध्यक्ष के रूप में इस पद पर काबिज रहे।

वर्ष 2000 में प्रेमदास कठेरिया को मिला था मौका

वर्ष 1995 में पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित की गई तो विधायक महेंद्र सिंह राजपूत अध्यक्ष बने। वर्ष 2000 में एससी वर्ग के लिए आरक्षित होने पर पूर्व सांसद प्रेमदास कठेरिया को मौका मिला। साल 2005 में पिछड़ा वर्ग महिला के आरक्षित होने पर सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के भाई राजपाल सिंह की पत्नी प्रेमलता यादव अध्यक्ष बनीं। उनका कार्यकाल उस समय यादगार बन गया, जब वर्ष 2010 में यह पद सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित होने पर प्रदेश में बीएसपी की सरकार होने के बावजूद वो दूसरी बार अध्यक्ष बनीं। इसके बाद वर्ष 2015 में यह पद फिर से सामान्य रखा गया । तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चचेरे भाई अभिषेक यादव इस पद पर आसीन हुए।

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