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मुलायम के विरोध ने दर्शन सिंह को कभी भी नहीं करने दिया जनमत हासिल

locationइटावाPublished: Aug 30, 2018 04:35:02 pm

Submitted by:

Ashish Pandey

अंतत: नेताजी के साथ फिर आए और राज्सभा सदस्य बने।
 

darshan singh

मुलायम के विरोध ने दर्शन सिंह को कभी भी नहीं करने दिया जनमत हासिल

दिनेश शाक्य
इटावा. समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव और दिवंगत दर्शन सिंह यादव एक समय गहरे दोस्त हुआ करते थे, लेकिन एक वजह से यह दोस्ती दुश्मनी में तब्दील हो गई। असल में मुलायम सिंह यादव और दर्शन सिंह यादव की मित्रता की इटावा के लोग कसीदे पढ़ा करते थे क्यों कि दर्शन सिंह यादव कारोबारी लिहाज से मुलायम सिंह यादव के लिए आर्थिक तौर पर मददगार साबित रहे थे। बाद में दर्शन सिंह की महत्वाकांक्षा ने जोर पकड़ा जिसके एवज में दर्शन भी मुलायम के समकक्ष बनने लगे ।
यहां से शुरू हुई थी तकरार

दोनों के बीच अनबन 1988 में इटावा जिला पंचायत के अध्यक्ष को लेकर शुरू हुई। दर्शन सिंह मुलायम सिंह के मित्र होने के नाते अपना हक यह मान कर जताते हुए जिला परिषद के अध्यक्ष की मांग कर बैठे कि मुलायम उनको इंकार नहीं करेंगे लेकिन मुलायम ने अपने भाई प्रो रामगोपाल यादव को दर्शन सिंह के मुकाबले काबिज कराना मुनासिब समझा।
दोनों के बीच तकरार और बढ़ चली
मुलायम के इसी कदम के बाद दोनों के बीच दूरियां बन गईं और फिर आ गया 1989 का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का वक्त जिसमें मुलायम समाजवादी जनता पार्टी से चुनाव मैदान में जसवंतनगर विधानसभा चुनाव में उतरे तो वहीं दर्शन सिंह कांग्रेस के टिकट पर मुलायम के मुकाबले उतरे लेकिन नतीजा मुलायम सिंह के पक्ष में आ गया। नतीजे के बाद मुलायम यूपी के सीएम पद की दौड़ में अजीत सिंह के मुकाबले प्रभावी होते हुए यूपी के सीएम की गद्दी पर काबिज हो गए। सीएम की गद्दी पर मुलायम के काबिज होते हुए ही दोनों के बीच तकरार और बढ़ चली। दोनों एक दूसरे को नीचा दिखाने में जुट गए।
मजबूत मुलायम को हरा पाने में सक्षम नहीं थे
1989 दर्शन सिंह यादव ने मुलायम को नीचे करने की भरसक कोशशि की। राजनीतिक तौर पर बेहद मजबूत हो चुके मुलायम को हरा पाने में दर्शन सक्षम नहीं हुए। इटावा के वरिष्ठ पत्रकार सुभाष त्रिपाठी बताते हैं कि1991 में चुनाव में इटावा में जोरदार हिंसा हुई, जिसमें कई पत्रकार बिल्ट्ज से प्रदीप कपूर, इंडिया टू डे से दिलीप अवस्थी भी मेरे साथ अम्बेसडर कार में फंस गए थे। नगला बाबा में कई गोलियों चली, बड़ी मुश्किल से सभी बच सके।
जहाँ 1989 में दर्शन सिंह को 39160 वोट मिले वहीं मुलायम ने 65597 वोट पाकर जीत पाई। 1991 में दर्शन को फिर पराजय का सामना करना पड़ा। दर्शन को 36211 तो मुलायम को 47765 वोट मिले। 1993 में दर्शन ने मुलायम को कड़ी टक्कर दी जिसमें दर्शन को 59081 तो मुलायम ने पाये 60242 वोट। 1996 में मुलायम ने इस सीट को अपने भाई शिवपाल के लिए छोड़ दिया, लेकिन दर्शन ने फिर किस्मत आजमाई। इस चुनाव में दर्शन को 57438 ओर शिवपाल को 682377 वोट मिले।
1989 से लगातार हारते-हारते दर्शन ने मैंनपुरी लोकसभा से सपा उम्मीदवार बलराम सिंह यादव के खिलाफ चुनाव मैदान में किस्मत आजमाई, जिसमें बलराम ने 2 लाख 47 हज़ार 113 वोट से जीत पाई जब कि दर्शन ने 2 लाख 16 हज़ार 87 वोट पाये। भाजपा में शामिल हो दर्शन सिंह यूपी नलकूप निगम के चेयरमैन भी रह चुके थे।
दोस्त ने ही पहुंचाया राज्यसभा

राजनीतिक तौर पर जनमत हासिल करने में पूरी तरह से विफल रहने पर साल 2006 में उन्होंने एक बार फिर से मुलायम सिंह यादव से दोस्ती करते हुए समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। 2012 में मुलायम ने अपने इस दोस्त को राज्यसभा का सदस्य बना कर राजनीतिक तौर पर जनप्रतिनिधि भी बना दिया।
पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के दोस्त दर्शन सिंह यादव का हार्टअटैक से बुधवार देर रात निधन हो गया। उनके निधन से इटावा ओर आसपास के इलाकों में शोक की लहर है। केंद्रीय समाज सेवा समिति के नाम से संचालित एक संस्था के अध्यक्ष दर्शन सिंह यादव राज्यसभा सदस्य भी रह चुके हैं। करीब 74 साल के दर्शन सिंह यादव की पहचान यहाँ समाजसेवक की रही है।
दर्शन सिंह के भाई सोबरन सिंह यादव मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा से लगातार दूसरी बार समाजवादी पार्टी से विधायक हैं। इससे पहले सोबरन सिंह भाजपा से भी एमएलए रह चुके हैं। दर्शन सिंह यादव का जन्म 31 जुलाई 1944 को इटावा जनपद के ग्राम बहादुरपुर हैवरा में एक संभ्रांत परिवार में हुआ था। इनके पिता कामताप्रसाद पेशे से किसान थे।

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