नत्थू सिंह की याद में दंगल सैफई के मास्टर चंदगीराम स्टेडियम में आयोजित होने वाला यह दंगल साल 1986 से शुरू हुआ था। दंगल की शुरुआत समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने अपने गुरु स्वर्गीय नत्थू सिंह यादव की स्मृति में आयोजित की थी। दंगल की शुरुआत 3 नवंबर 1985 को हुई थी, लेकिन उसी दिन मुलायम सिंह के राजनीतिक गुरु स्वर्गीय नत्थू सिंह का निधन हो गया। जिस वजह से दंगल स्वर्गीय नत्थू सिंह की याद में किया जाने लगा।
शिवपाल ने दी अनोखे अंदाज में बधाई पहले यह दंगल शिवरात्रि के दिन सैफई में आयोजित किया जाता था। जिसमें पूरे देश के नामी पहलवान पहुंचते थे। बाद में दंगल को सैफई महोत्सव में आयोजित किया जाने लगा। जिसमें नामी पहलवानों ने मल्ल कला का प्रदर्शन किया। समाजवादी पार्टी की सरकार जाने के बाद पिछले साल महोत्सव न लग पाने के कारण दंगल का आयोजन भी बंद कर दिया गया, लेकिन शिवपाल सिंह यादव ने नेता जी के पसंदीदा खेल कुश्ती को उनके जन्मदिन पर आयोजित करके मुलायम सिंह यादव को जन्मदिन का खास तोहफा दिया है।
होर्डिंग्स, बैनर, रंगीन झालरों से पटा सैफई सैफई को दुल्हन की तरह सजाया गया है। रंग बिरंगी झालरें और सड़कों पर लाइटें लगाई गई हैं। रास्तों को साफ करके देर शाम तैयारी पूरी कर ली गई है। स्टेडियम की बिल्डिंग भी रंगीन झालरों से सजाई गई है।
हजारों की संख्या में विराट दंगल में भीड़ पहुंचने की उम्मीद इस दंगल में हजारों की संख्या में भीड़ आने की उम्मीद है, क्योंकि पिछले 15 दिन से दंगल का खूब जोर-शोर से प्रचार प्रसार किया जा रहा है। मुलायम सिंह यादव की पसंद होने के बाद इस कला को पसंद करने वाले काफी लोग हैं। उम्मीद की जा रही है हजारों की संख्या में भीड़ से सैफई पहुंचेगी।
महिला पहलवान भी पहुंची सैफई सैफई में विराट दंगल में अपनी मल्ल कला का प्रदर्शन करने के लिए कई जिलों की लगभग 20 महिला पहलवान भी सैफई आ चुकी हैं। सैफई में आयोजित दंगल में पूर्व में भी महिला पहलवान अपना प्रदर्शन दिखा चुकी हैं।
उत्तर प्रदेश के अलावा अन्य राज्यों के पहलवान भी पहुंचे सैफई दंगल में उत्तर प्रदेश के वाराणसी, गोरखपुर, फैजाबाद, गाजियाबाद, बागपत, आगरा, फिरोजाबाद, आजमगढ़, कानपुर, के अलाबा मध्यप्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब के लगभग एक सैकड़ा पहलवान कुश्ती कला का प्रदर्शन करेंगे।
इस बार भी गद्दे पर होगी कुश्ती सैफई के मास्टर चंदगीराम स्टेडियम में आयोजित विराट दंगल में इस साल भी कुश्ती गद्दे पर होगी। वर्षों पूर्व कुश्ती अखाड़े में होती थी, लेकिन बाद में विदेशी तर्ज पर कुश्ती गद्दे पर होने लगी।