2009 में जब एस.पी.सिंह बघेल समाजवादी पार्टी से अलग हो कर बहुजन समाज पार्टी का हिस्सा बने तो उनके स्वागत के लिए इटावा के एक होटल में उनके समाज के अहम लोगों ने स्वागत सत्कार किया। इसी दरम्यान हुई प्रेसवार्ता में बघेल ने स्वीकार किया कि वो अपने संसदीय क्षेत्र कैसा बूथ लूट किया करते थे। प्रो. एस.पी.सिंह बघेल एक वक्त मुलायम सिंह यादव के सुरक्षा गार्ड रहे हैं और मुलायम ने उनकी राजनैतिक क्षमता को देखते हुए 1998 में पहली बार ससंदीय चुनाव में उतारा था। पहली पारी में ही जीत का ऐसा चस्खा लगा उसके बाद बघेल ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा लेकिन बाद में उनकी मुलायम से अनबन हो गई ।
बघेल मूल रूप से उत्तर प्रदेश के औरैया जिले के भटपुरा में के वासी है। असल में सत्यपाल सिंह बघेल राजनीति में एस.पी.सिंह बघेल के नाम से लोकप्रिय हैं। मुलायम सिंह यादव ने उनको जलेसर सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर 1998 में पहली बार उतारा और जीत कर कामयाबी पाई। उसका बाद दो दफा वो फिर सांसद चुने गये। एस.पी.सिंह बघेल की साल 1998 में राजनैतिक पारी की शुरूआत हो गई। वर्ष 1998 में पहली बार सपा से सांसद बनने पर प्रोफेसर बघेल की राजनैतिक पारी शुरू हुई। उनका यह क्रम लगातार तीन बार 1999 और 2004 में भी चलता रहा।
जलेसर लोकसभा क्षेत्र से तीन बार सपा से सांसद रहे प्रो. बघेल वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान बसपा में शामिल हो गए थे। चुनाव में अखिलेश यादव और डिंपल यादव के खिलाफ दम दिखाने पर बसपा ने उन्हें राज्यसभा भेजा था। प्रो. बघेल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा में शामिल हुए। उस समय वह बसपा से राज्यसभा सदस्य थे और दो साल का उनका कार्यकाल शेष था। भाजपा और संघ के बड़े नेताओं से बघेल की नजदीकी बढ़ती गई। विधानसभा चुनाव आने पर आगरा और अलीगढ़ मंडल में बघेलों के साथ-साथ निषाद, लोधे और कुशवाह वोट बैंक को साधने के लिए भाजपा ने टूंडला सीट से बघेल को विधानसभा चुनाव लड़ाया। बघेल मुख्यत पिछड़ा वर्ग से आते हैं लेकिन बघेल की उपजाति गड़रिया अनुसूचित जाति में शामिल है। पिछड़ा वर्ग का चेहरा होने के बाद भी अनुसूचित जाति के उनके प्रमाणपत्र ने चुनाव में तुरुप के पत्ते का काम किया। हालांकि उनके प्रमाणपत्र पर काफी हंगामा भी हुआ, शिकायतें भी हुईं लेकिन पत्रावलियां उनके पक्ष में थी । लिहाजा बघेल सुरक्षित सीट पर चुनाव लड़े और जीत गए। बघेल को भाजपा ने स्टार प्रचारक बनाया गया और उन्हें जेड श्रेणी की सुरक्षा दी गई।
2010 में बसपा ने राज्यसभा सांसद बनाया। साथ ही राष्ट्रीय महासचिव का ओहदा भी दिया गया । साल 2014 में फिरोजाबाद लोकसभा से सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव के पुत्र अक्षय यादव के सामने चुनाव लड़े। हालांकि वह यह चुनाव हार गए थे । उन्होंने जबरन चुनाव हरवाने का आरोप लगाया था। इसके बाद उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ली । भाजपा ने उन्हें पिछड़ा वर्ग का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया। 2017 में टूंडला सुरक्षित सीट से भाजपा विधायक बनने के बाद उन्हे योगी सरकार मे पशुधन मंत्री बना दिया गया।