40 मीटर तक निर्माण पर सख्ती, उसके बाद इजाजत लेनी होगी राजमार्गों के किनारे निर्माण पर पाबंदी की सरहद तय करने का आदेश बीते सप्ताह लागू हुआ है। कंट्रोल लाइन (हद) और बिल्डिंग लाइन की हदबंदी को नए सिरे से तय किया गया है। नए नियमों के मुताबिक हाईवे के मध्य से दोनों ओर 75-75 मीटर दायरे में कोई निर्माण नहीं होगा। यदि निर्माण बेहद जरूरी है तो एनएचएआई तथा राजमार्ग मंत्रालय से अनुमति लेनी होगी। राष्ट्रीय राजमार्ग नियंत्रण एक्ट की धारा 42 के तहत नई व्यवस्था में स्पष्ट है कि हाई-वे के मध्य से 40 मीटर तक निर्माण की इजाजत कतई नहीं मिलेगी, जबकि 40 से 75 मीटर के दायरे में निर्माण बहुत जरूरी है तो भू-स्वामी को एनएचएआई से अनुमति लेनी होगी। एनएचएआई की सिफारिश पर राजमार्ग मंत्रालय अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) जारी करेगा। राजमार्ग मंत्रालय की एनओसी के पश्चात ही संबंधित विकास प्राधिकरण अथवा जिला पंचायत नक्शा पास करेगा।
समूचे देश में नियम लागू, यूपी के 335 गांवों को नोटिस नए नियमों के बाद एनएचएआई ने इंडियन रोड कांग्रेस का हवाला देते हुए उत्तर प्रदेश में हाई-वे किनारे की ग्राम पंचायतों के प्रधानों को नोटिस जारी कर दिए हैं। नोटिस में स्पष्ट है कि हाई-वे के मध्य से 75 मीटर के दायरे तक बगैर इजाजत निर्माण कराने पर उसे ध्वस्त कर दिया जाएगा। इसके साथ ही बिना अनुमति निर्माण की लागत का सौ गुना तक जुर्माना वसूला जाएगा। यूं तो यह आदेश पूरे देश में लागू हुआ है, लेकिन उपलब्ध जानकारी के आधार पर एनएचएआई ने चकेरी से कोखराज (इलाहाबाद) और कानपुर से कबरई हाई-वे के किनारे स्थित 322 ग्राम प्रधानों को नोटिस भेजे हैं। प्रधानों के अलावा एनएचएआई ने बिना अनुमति निर्माण करा चुके हाल में कानपुर परिक्षेत्र के 233 भवन स्वामियों को भी नोटिस जारी किया है।
पुराने निर्माण पर भी भवन स्वामियों को लेनी होगी अनुमति एनएचएआई ने यह भी साफ किया है कि यदि 40 मीटर के बाद और 75 मीटर के भीतर किसी ने निर्माण कर लिया है तो उसे भी वैध कराना होगा। इसके लिए एनएचआई को सूचना देनी होगी और भौतिक सत्यापन कराना होगा। अधिकारी मौके की स्थिति की जांच कर जुर्माना तय करेंगे। इसे अदा करने के बाद निर्माण को वैध घोषित किया जाएगा। एनएचएआई के कानपुर परिक्षेत्र के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पुरुषोत्तम लाल चौधरी का कहना है कि हाईवे के किनारे निर्माण किया है तो मुख्य निकासी भी हाईवे पर होगी। ऐसे में अनुमति नहीं लेने वाले भवन स्वामियों की हाईवे पर निकासी बंद कर दी जाएगी। निर्माण वैध नहीं कराया तो अवैध घोषित करते हुए ध्वस्त भी कर दिया जाएगा।
जल्द ही यूपी के समस्त इलाकों में जारी होगी नोटिस दरअसल, एनएचएआई ने नेशनल हाईवे की हद का निर्धारण भविष्य में 8 लेन की संभावनाओं को देखते हुए किया है। इसका उद्देश्य है कि यदि हाईवे का चौड़ीकरण किया जाए तो कम से कम मुआवजा देना पड़े, साथ ही अधिग्रहण में कानूनी बाधाओं की आशंकाएं कम रहें। गौरतलब है कि खाली जमीन का मुआवजा सर्किल रेट के आधार पर देना होता है, जबकि निर्माण की स्थिति में जमीन के मुआवजे के साथ- साथ 16 हजार रुपए वर्गमीटर की दर से अलग मुआवजा भी देना पड़ता है। कानपुर परिक्षेत्र में इटावा-चकेरी 160 किलोमीटर, चकेरी-कोखराज 145 किलोमीटर, नौबस्ता-कबरई 123 किलोमीटर, बाराजोड़ से जालौन 65 किलोमीटर और उन्नाव-रायबरेली 70 किलोमीटर के हाई-वे पर मौजूद गांवों के प्रधानों को भेजने के लिए नोटिस तैयार हैं। एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर के अनुसार, राजमार्ग मंत्रालय ने प्रत्येक परिक्षेत्र को अपने-अपने कार्यक्षेत्र में हाई-वे किनारे के गांवों में नोटिस जारी करने को कहा है।
व्यावसायिक गतिविधियों के लिए टैक्स भी वसूला जाएगा
एनएचएआई ने नेशनल हाईवे के किनारे कॉमर्शियल गतिविधियों यानी उद्योग-व्यापार पर लाइसेंस शुल्क भी लगा दिया है। बीते बुधवार से भौतिक परीक्षण भी शुरू करा दिया गया है। एनएचएआई की टीम हाई-वे किनारे पेट्रोल पम्प, स्कूल-कॉलेज, ढाबा और शोरूम की सूची तैयार करेंगी। इनकी रिपोर्ट पर सभी कारोबारियों और संस्थाओं को नोटिस जारी कर लाइसेंस फीस जमा करने के निर्देश दिए जाएंगे। पेट्रोल पम्पों से 2013 से लाइसेंस शुल्क लेने का प्रावधान किया गया है, जबकि निजी भवनों में व्यापारिक गतिविधि पर आबादी के हिसाब से वन टाइम लाइसेंस शुल्क वसूला जाएगा। नई व्यवस्था में पेट्रोल पम्प मालिक एनएचएआई से पांच साल का करार करेंगे। इसके लिए नोटिफिकेशन जारी होने के साल में एक बार दो लाख रुपए शुल्क लिया जाएगा। किसी पेट्रोल पम्प पर बिना अनुमति निर्माण होगा तो एनएचएआई 25 लाख तक का जुर्माना लगा सकेगी।