विरोध के चलते पुलिस अधीक्षक अपराध से पूरे मामले की जांच कराई गई तो ऐसा पाया गया कि पुलिसिया कार्रवाई के क्रम में स्थानीय लोगों के साथ में ज्यादती कुछ ज्यादा ही की गई है। परिणाम स्वरूप चौकी प्रभारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित तो कर दिया गया लेकिन गुस्साए लोगों ने इस कार्रवाई को नाकाफी बताया जिसके बाद अहेरीपुर चौकी में तैनात पुलिसकर्मी संतोष कुमार, रवनीत कुमार, राहुल कुमार, प्रमोद सिंह, सुनील कुमार, योगेश कुमार, रजत कुमार को लाइन हाजिर कर पूरे मामले की विस्तृत जांच रिपोर्ट के लिए पुलिस अधीक्षक अपराध ज्ञानेंद्र नाथ प्रसाद को नियुक्त किया गया है।
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि अहेरीपुर चौकी में पहले से तैनात सभी पुलिसकर्मियों को हटाने के साथ साथ में नई तैनाती भी कर दी गई है। चौकी प्रभारी के तौर पर नई तैनाती सब इंस्पेक्टर सत्यपाल सिंह की गई है। इसके अलावा जितेंद्र सिंह, नवलेन्द्र सिंह, सत्यवीर सिंह, आलोक वर्मा, विष्णु कुमार, सुमित कुमार और रंजीत कुमार की नई तैनाती की गई है। बकेवर थाना क्षेत्र के अंतर्गत अहेरीपुर चौकी क्षेत्र में एक सरकारी नाले के निर्माण को लेकर के हुए विवाद के बाद कई भाजपाइयों के साथ-साथ इलाकाई लोगों के खिलाफ महामारी अधिनियम 7 सीएलए एक्ट के साथ साथ संगीन धाराओ में मुकदमा दर्ज कर 7 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया जब कि अन्य की तलाश जारी है।
पुलिस की कार्रवाई में जद में आए अधिकाधिक लोग भारतीय जनता पार्टी के समर्थक थे। इसी वजह से भारतीय जनता पार्टी के सांसद डॉ रामशंकर कठेरिया, जिलाध्यक्ष अजय धाकरे, भरथना क्षेत्र की एमएलए सावित्री कठेरिया, पूर्व जिलाध्यक्ष शिव महेश दुबे समेत सैकड़ों की तादाद में भाजपाइयों ने अहेरीपुर में गुस्साए लोगों के बीच में पहुंचकर के करीब 4 घंटे तक जनसुनवाई की।
इस दौरान इटावा के पुलिस अधीक्षक ग्रामीण ओमवीर सिंह, पुलिस उपाधीक्षक भरथना चंद्रपाल सिंह समेत पुलिस के तमाम अधिकारी मौजूद रहे। खुली जनसुनवाई के दरम्यान पुलिस के खिलाफ जमकर के स्थानीय लोगों ने आक्रोश व्यक्त किया गुस्साए लोगों की वेदना को देखकर के भाजपा के सभी जनप्रतिनिधियों ने पार्टी हाईकमान को पुलिसिया करतूत की जानकारी देना मुनासिब समझा। इसी के नतीजे के क्रम में पहले अहेरीपुर चौकी प्रभारी हेमंत सोलंकी को निलंबित किया गया और उसके बाद चौकी में तैनात सभी सात पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर किया गया है। भाजपा के जनप्रतिनिधियों का ऐसा मानना है कि किसी भी निर्दोष का उत्पीड़न करने वाले को बख्शने का सवाल ही पैदा नहीं होता है।