अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद अध्यापन का कार्य शुरू किया। 1969 में वह के.के.पोस्ट ग्रेजुएट कालेज, इटावा में भौतिक विज्ञान के प्रवक्ता नियुक्त हुए। आगे चलकर वह इसी कालेज में प्रोन्नत होकर रीडर बने। 1994 में वह चौधरी चरण सिंह डिग्री कालेज, हैंवरा, इटावा के प्रधानाचार्य बने। यहां पर उन्होंने 2006 तक अपनी सेवाएं दीं।
जीवन में राष्ट्र को सर्वाेपरि मानने वाले प्रो. रामगोपाल यादव का नाम हिन्दुस्तान की राजनीति में बहुत आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है। उनका सार्वजनिक जीवन पूरी तरह बेदाग रहा है। पेशे से शिक्षाविद प्रोफेसर रामगोपाल यादव संसद में जब किसी विषय पर बोलते हैं तो सत्ता पक्ष और विपक्ष सभी उनके सारगर्भित, ओजस्वी, तथ्यों और तर्क से भरपूर भाषणों को ध्यान से सुनते हैं। जीवन में बेहद अनुशासित और संयमित रहने वाले प्रो. रामगोपाल यादव को अनुशासनहीनता और उदंडता बिल्कुल पसंद नहीं है। संसद हो या संसद के बाहर, वह बेहद विनम्र, शालीन और मर्यादित आचरण करते हैं। समाजवादी पार्टी ही नहीं दूसरे राजनीतिक दलों के लोग भी उनकी मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हैं।
समय के बेहद पाबंद प्रोफेसर रामगोपाल यादव सच्ची और खरी-खरी बात करने वाले इंसान हैं। वह चापलूसों और चाटुकारों से दूर रहते हैं। उनका मानना है कि इंसान के जीवन में समय सबसे अनमोल होता है, एक बार जो समय निकल जाता है। वह वापस लौटकर नहीं आता है। जो लोग समय की कद्र नहीं करते हैं उनसे कोई उम्मीद नहीं करनी चाहिए क्योंकि ऐसे लोग जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ सकते हैं।
Ramgopal Yadav with Student Politics
प्रो. रामगोपाल यादव अक्सर दलगत राजनीति से ऊपर उठकर समाज और राष्ट्र के हित में काम करते हैं। इस वजह से सभी दलों के लोग उनकी इज्जत करते हैं। सभी राजनैतिक दलों में उनके मित्र हैं। एक इंटरव्यू के दौरान प्रो.रामगोपाल यादव ने कहा था कि वो कभी भी राजनीति में नहीं आना चाहते थे । वो तो पेशे से प्राध्यापक थे। एक दिन नेता जी मुलायम सिंह जीप में आए और बोले कोई भी उम्मीदवार नहीं मिल रहा है तो तुम बसरेहर, इटावा से ब्लाक प्रमुख चुनाव के लिए नामांकन कर आओ । उसे जीतने के बाद फिर ज़िला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव हुआ और तब तक मैं सक्रिय राजनीति में पहुॅच चुका था ।
प्रो. रामगोपाल यादव अक्सर दलगत राजनीति से ऊपर उठकर समाज और राष्ट्र के हित में काम करते हैं। इस वजह से सभी दलों के लोग उनकी इज्जत करते हैं। सभी राजनैतिक दलों में उनके मित्र हैं। एक इंटरव्यू के दौरान प्रो.रामगोपाल यादव ने कहा था कि वो कभी भी राजनीति में नहीं आना चाहते थे । वो तो पेशे से प्राध्यापक थे। एक दिन नेता जी मुलायम सिंह जीप में आए और बोले कोई भी उम्मीदवार नहीं मिल रहा है तो तुम बसरेहर, इटावा से ब्लाक प्रमुख चुनाव के लिए नामांकन कर आओ । उसे जीतने के बाद फिर ज़िला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव हुआ और तब तक मैं सक्रिय राजनीति में पहुॅच चुका था ।