इटावा

पुलवामा में हुए शहीद की पत्नी ने कहा- वो वापस आकर लोन पर घर बनवाने वाले थे

शहीद जवान रामवकील माथुर को आंतकियों से लोहा लेने में आता था आंनद, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो पाया.

इटावाFeb 15, 2019 / 08:10 pm

Abhishek Gupta

Etawah Martyr

इटावा. जम्मू कश्मीर के पुलवामा में शहीद हुए सीआरपीएफ जवान रामवकील माथुर की बहादुरी के किस्से उनके भाई सुनाते हुए नहीं थकते है। शहीद रामवकील के भाई आदेश चंद्र का कहना है कि वैसे मेरे भाई बहुत की बहादुर आदमी था, जब भी वो छुट्टी पर आया करता था, तो बताता था कि भइया हमारे बंकर पर आंकतियों ने हमला किया तो हमने कई आंतकियों को मौत के घाट उतार दिया, लेकिन अबकी बार यह दुर्भाग्य है कि हमारा भाई दुनिया में नहीं रहा।
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जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए फिदायीन हमले में उत्तर प्रदेश के इटावा के रहने वाले सीआरपीएफ के हेड कान्स्टेबल रामवकील माथुर शहीद हो गए। शहादत की खबर सुनकर घर में कोहराम मच गया । हेड कान्स्टेबल रामवकील माथुर के शहीद होने की खबर जब घर पहुंची तो पूरे जिला गम में डूब गया । मूलरूप से मैनपुरी के रहने वाले रामवकील के परिवारी जन बेहद गमगीन माहौल में आज सुबह मैनपुरी के लिए रवाना हो गये।
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रामवकील ने कहा था वापस आकर लोन लेकर बनवाएंगे घर-

इटावा के अशोक नगर इलाके में अपने मायके में रह रहीं गीता और उसके तीन बेटे और गीता के मां-बाप को जब यह पता चला कि उनके दामाद रामवकील माथुर की पुलवामा जम्मू कश्मीर में एक आतंकी हमले में शहीद हो गये, तब से उन लोगों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया। बड़े बेटे राहुल की उम्र 12 वर्ष है, जो केंद्रीय विद्यालय में कक्षा 8 का छात्र है और उससे 2 साल छोटा साहुल कक्षा 7 में पढ़ता है। दोनों अपने पापा को याद करते हुए अपने नाना ओर नानी की गोद से हटने का नाम नहीं ले रहे हैं। सबसे छोटा बेटा अंश भी अपनी माँ की गोद में रोते हुए जानने की कोशिश कर रहा है कि आखिर हुआ क्या। घर में चीख पुकार क्यों मची है। 4 साल का अंश नहीं जानता कि उसके पापा अब कभी घर वापिस नहीं आएंगे, वही गीता रोते हुए बता रही है कि पिछले रविवार को ही तो उनके पति यह कहकर घर से गये थे कि अगले महीने घर वापस आकर मकान बनवाएंगे। शहीद रामवकील की पत्नी गीता बताती है कि छुट्टी से वापस जाते समय उनके पति कहकर गये थे कि अगले महीने मार्च में आकर लोन लेकर अपना खुद का मकान बनवाएंगे। अब उन्हें मायके में रहते हुए अच्छा नहीं लगता । इसलिए इटावा में ही एक उनका प्लॉट पड़ा है। शहीद का बड़ा बेटा राहुल जो कक्षा 8 में पड़ता है और फुटबॉल का शौकीन है, अभी वह अपने पिता के साथ आगरा छात्रावास की ट्रायल देने गया था। वहीं शहीद की पत्नी की सरकार से नाराजगी भी दिखी। सरकार कुछ करना नहीं चाहती है तभी यह सब हो रहा है।
बेटों का यहां कराया था एडमिशन-

मैनपुरी ज़िले के दन्नाहार थाने के विनायपुरा गॉव के रहने वाले रामवकील 2001 में सिपाही के पद से सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। 2003 में उनकी शादी इटावा के अशोक नगर निवासी दिवारी लाल की पुत्री गीता के साथ हुई थी। जम्मू में तैनाती से पहले रामवकील अलीगढ़ में तैनात थे, पिछले दो साल बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए शहीद ने अपने दोनों बड़े बेटे राहुल और साहुल का दाखिला केंद्रीय विद्यालय इटावा में करवा दिया था, जिस कारण गीता अपने तीनों बच्चों को लेकर मायके में रह रही थीं। गीता के पिता उत्तर प्रदेश पुलिस में हेड कांस्टेबिल के पद पर कानपुर में तैनात हैं, गीता के ससुराल मैनपुरी में हैं। उनके ससुर पहले ही खत्म हो गये थे। घर में अकेले उनके पति और उनकी मां थीं।
इटावा के डीएम नहीं आए शहीद के घर-

इटावा के डीएम एसपी के शहीद के घर ना आने को लेकर परिवार में काफी नाराजगी भी देखी जा रही है। हमारे भाई समेत तमाम सैनिकों की मौत देश के लिए बेहद गम का मामला तो है ही, मेरे परिवार के लिए विशेषकर है। उनका कहना है कि पाकिस्तान के बारे में राजनीति ना करके पूरा देश आंतकियों के सफाए के लिए एक जुट हो कर खड़ा हो यही सभी से गुजारिश है।

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