राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा कि पता नहीं कौन सरकार के सलाहकार हैं जो अमेरिकन पैटर्न पर सारी चीजें ले जाना चाहते हैं। सभी सरकारी कामकाजी लोगों को सरकार हटा कर निजी लोगों से काम करना सरकार की मंशा दिखाई दे रही है। इस समय जो हालात दिखाई दे रहे हैं। कहा यह भी जा रहा है कि धीरे-धीरे कोई भी सरकारी नौकरियां नहीं रहेंगी। सिर्फ फौज और पुलिस की ही सरकारी नौकरियां रह जाएंगी।
सपा महासचिव ने कहा कि तीनों कृषि कानून जल्दबाजी में लाए गए थे। जबकि परंपरा यह है कि जब भी कोई नया कानून सदन में पास किया जाता है उनको संसद की समितियों में भेजा जाता है। इन कानूनों को कृषि समितियों में भेजा जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया और जिस तरह से कानून पास किए गए हैं। वह भी हर किसी को भली-भांति पता पता है। इन कानूनों को पास करने को लेकर के सदन में किस तरह से विवाद हुआ यह किसी से छुपा नहीं है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बोले
उन्होंने कहा कि कृषि कानून के जरिये एमएसपी को लेकर के अनिश्चय की स्थिति बनी हुई है। जिस ढंग से कृषि कानून पास किया गया है। उसके तहत यह कहा जा सकता है कि किसी भी किसान को सही एमएसपी कभी मिली ही नहीं सकती। मनमाने तरह से बड़े लोग किसान की फसल को खरीदेंगे।
उन्होंने कहा कि कृषि कानून के जरिये एमएसपी को लेकर के अनिश्चय की स्थिति बनी हुई है। जिस ढंग से कृषि कानून पास किया गया है। उसके तहत यह कहा जा सकता है कि किसी भी किसान को सही एमएसपी कभी मिली ही नहीं सकती। मनमाने तरह से बड़े लोग किसान की फसल को खरीदेंगे।
धनपतियों की मंडियों का मुकाबला नहीं कर पाएंगे सरकारी मंडियां : रामगोपाल यादव
उन्होंने कहा कि इन कृषि कानूनों के लागू होते ही सरकार की मंडियां पूरी तरह से खत्म हो जाएंगी। नए कृषि कानूनों के तहत बड़े बड़े धनपतियों की ओर से बनाए जाने वाली मंडियों का मुकाबला सरकारी मंडिया नहीं कर पायेंगी। धन पतियों की मंडियां वहीं पर बनेंगी जहां पर सरकारी मंडिया पहले से निर्धारित होंगी।
उन्होंने कहा कि इन कृषि कानूनों के लागू होते ही सरकार की मंडियां पूरी तरह से खत्म हो जाएंगी। नए कृषि कानूनों के तहत बड़े बड़े धनपतियों की ओर से बनाए जाने वाली मंडियों का मुकाबला सरकारी मंडिया नहीं कर पायेंगी। धन पतियों की मंडियां वहीं पर बनेंगी जहां पर सरकारी मंडिया पहले से निर्धारित होंगी।
दावा : पहले ही बन गये अडानी के गोदाम
सपा नेता ने कहा कि अब इस बात का संदेह होने लगा है कि कानून भले ही सरकार की ओर से लाया गया हो लेकिन लेकिन ड्राफ्ट कार्पोरेट सेक्टर से जुड़ी हुई सरकारी की करीबी कंपनियों का ही है। जो भी कृषि कानून बनाया गया है वह कहीं न कहीं सरकार के करीबी कार्पोरेट सेक्टर की कंपनियों के पक्ष में प्रतीत हो रहा है। ऐसे में प्रश्न खड़ा होता है कि अगर कार्पोरेट कंपनियों को यह पता नहीं था तो फिर उन्होंने देश के दूसरे हिस्सों में बड़े-बड़े गोदाम कैसे बना लिए जिनका जिकर कृषि कानूनों में भी किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि देश के कई हिस्सों में अडानी कंपनी ने 4 साल पहले से बड़े-बड़े गोदाम बनाने शुरू दिये थे। इन गोदामों में करोड़ों टन गेहूं और धान भरा जा सकता है। उनका दावा है कि सरकार हठधर्मिता पर उतरी हुई है और इसीलिए कृषि कार्यों के विरोध में उतरे किसानों की बात को सुनने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार ने अपनी प्रतिष्ठा इस बात के लिए लगा ली है कि हम इस कानून को वापस नहीं लेंगे और इसी वजह से सरकार किसानों की सुन नहीं रही है।
सपा नेता ने कहा कि अब इस बात का संदेह होने लगा है कि कानून भले ही सरकार की ओर से लाया गया हो लेकिन लेकिन ड्राफ्ट कार्पोरेट सेक्टर से जुड़ी हुई सरकारी की करीबी कंपनियों का ही है। जो भी कृषि कानून बनाया गया है वह कहीं न कहीं सरकार के करीबी कार्पोरेट सेक्टर की कंपनियों के पक्ष में प्रतीत हो रहा है। ऐसे में प्रश्न खड़ा होता है कि अगर कार्पोरेट कंपनियों को यह पता नहीं था तो फिर उन्होंने देश के दूसरे हिस्सों में बड़े-बड़े गोदाम कैसे बना लिए जिनका जिकर कृषि कानूनों में भी किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि देश के कई हिस्सों में अडानी कंपनी ने 4 साल पहले से बड़े-बड़े गोदाम बनाने शुरू दिये थे। इन गोदामों में करोड़ों टन गेहूं और धान भरा जा सकता है। उनका दावा है कि सरकार हठधर्मिता पर उतरी हुई है और इसीलिए कृषि कार्यों के विरोध में उतरे किसानों की बात को सुनने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार ने अपनी प्रतिष्ठा इस बात के लिए लगा ली है कि हम इस कानून को वापस नहीं लेंगे और इसी वजह से सरकार किसानों की सुन नहीं रही है।
किसान आंदोलन विपक्ष का आंदोलन नहीं है
उन्होंने कहा कि किसानों का आंदोलन विपक्ष का आंदोलन नहीं है। यह शुद्ध रूप से किसानों का ही आंदोलन है और जो विपक्ष सांसद के सदस्य हैं वह भी कहीं न कहीं किसानी से जुड़े हुए हैं तो उनका भी यह फर्ज है कि वह अपना समर्थन किसानों को जरूर देंगे।
उन्होंने कहा कि किसानों का आंदोलन विपक्ष का आंदोलन नहीं है। यह शुद्ध रूप से किसानों का ही आंदोलन है और जो विपक्ष सांसद के सदस्य हैं वह भी कहीं न कहीं किसानी से जुड़े हुए हैं तो उनका भी यह फर्ज है कि वह अपना समर्थन किसानों को जरूर देंगे।
तो क्यों आ रहा किसान कानून
सपा नेता ने कहा कि जिनके लिए कानून लाया जा रहा है, जब वही लोग विरोध कर रहे हैं तो फिर ऐसे कानून को लाने का क्या मतलब। जब किसान बोल रहे हैं कि यह कानून किसानों के खिलाफ है तो सरकार को इस कानून को त्वरित ढंग से वापस ले लेना चाहिए। किसान आंदोलन को बिल्कुल जायज बताते हुए उन्होंने कहा कि किसान कृषि कानून बनाने वालों से कहीं ज्यादा समझदार है और किसके लिए लिए किसान कृषि कानूनों का विरोध कर रहा है।
सपा नेता ने कहा कि जिनके लिए कानून लाया जा रहा है, जब वही लोग विरोध कर रहे हैं तो फिर ऐसे कानून को लाने का क्या मतलब। जब किसान बोल रहे हैं कि यह कानून किसानों के खिलाफ है तो सरकार को इस कानून को त्वरित ढंग से वापस ले लेना चाहिए। किसान आंदोलन को बिल्कुल जायज बताते हुए उन्होंने कहा कि किसान कृषि कानून बनाने वालों से कहीं ज्यादा समझदार है और किसके लिए लिए किसान कृषि कानूनों का विरोध कर रहा है।
By- दिनेश शाक्य