प्रोफेसर राजकुमार ने बताया कि कोरोना संक्रमितों को लेकर पायलट स्टडी की गई है। अभी हम जिन मरीजों पर यह स्टडी कर चुके हैं, उनके नतीजों से उत्साहित हैं। अभी इसे और आगे बढ़ाने के लिए जा रहे हैं। सक्रमितों और गैर संक्रमितों पर अध्ययन किया जा चुका है। 20 संक्रमितों पर दवा का अध्ययन सफल भी हुआ है, लेकिन अभी इसको लेकर कोई जल्दबाजी नहीं है। अभी हमारे द्वारा आरम्भिक शोध किया गया है। जल्द ही इस शोध को बड़े पैमाने पर करेंगे और इसके आकड़ों और प्रभावों का अध्ययन करेंगे, जिससे यह पता चलेगा कि वास्तव में इसका कोरोना पर प्रभाव अच्छा है या नहीं। शोध के तीसरे स्तर पर हम इसका रैन्डमाइज्ड प्रयोग करेंगे। मतलब हम कुछ मरीजों को यह दवा देगें और कुछ को अन्य दवाओं के माध्यम से उपचारित करेंगे। इसके बाद रिजल्ट से पता चलेगा कि हमारा शोध किस दिशा में है।
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..तो रुक जाएगा कोरोना का संक्रमणहमारे देश की 40 प्रतिशत आबादी दैनिक कामगार है, जो कि मेहनत-मजदूरी करते हैं। इनकी रोग प्रतिरोधकता बहुत अच्छी होती है। हमारे देश में आम व्यक्ति खान-पान में जिन मसालों का प्रयोग करता है उनमें भी ऐसे तत्व होते हैं जो हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। इसी वजह से कोरोना के मामले में मृत्यु दर लगभग तीन प्रतिशत है, जबकि विश्व में यह लगभग 6 प्रतिशत है। और यूपी में 2.2 प्रतिशत ही है। इसके अलावा भारत विविध जलवायु का देश है जिसके कारण भी कोरोना उतनी तेजी से पैर नहीं पसार सका है। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि जैसे-जैसे गर्मी के साथ-साथ आर्दता बढ़ेगी मतलब जब 35 डिग्री तापमान के साथ आर्दता 90 प्रतिशत होगी, और यह स्थिति अगर 5-6 दिन बनी रही तो कोरोना का प्रसार लगभग रुक जायेगा।
जब कोई भी व्यक्ति कोरोना से संक्रमित होता है तो इसके रोगाणु शरीर में 6 से 14 दिन के अन्दर बहुत ही तीव्रगति से बढ़ते हैं और उसके बाद इसके लक्षण दिखाई देते हैं। इसके लक्षणों में मुख्यतः रोगी को उच्च ताप का ज्वर आता है और कुछ लोगों में ज्वर के साथ ही साथ सूखी खांसी आती है, लेकिन कुछ में ज्वर के साथ ही साथ बलगम के साथ खासी आती हैं। इसके कारण शरीर में टूटन, जी मिचलाने का भी अनुभव होता है और सांस लेने में दिक्कत होती है। अधिकतर रोगियों को स्वसन तंत्र व फेफडों में संक्रमण के कारण आक्सीजन की शरीर में आपूति नहीं हो पाती है, जिससे शरीर के अन्य अंग प्रभावित होते हैं।
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सैफई अस्पताल में है 200 बेड का कोविड अस्पताल
कुलपति ने कहा कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए हमारे पास 200 बेड का कोविड हास्पिटल और 600 बेड का क्वारंटाइन सेन्टर है। इसके अलावा हाॅस्पिटल और सेन्टर के लिए अलग-अलग स्टाफ को लगाया गया है। जांच, एक्सरे आदि की भी अलग से व्यवस्था की गई है। संस्थान द्वारा टेलीमेडिसन के माध्यम से 11 विभागों के डॉक्टरों द्वारा रोगियों को उपचार की सुविधा दी जा रही है। इसके अलावा हमारे संस्थान में कोविड 19 की भी जांच के लैब संचालित की जा रही है।
प्रोफेसर ने बताया कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में जहां एक ओर विश्व के अमेरिका और जर्मनी जैसे सक्षम देशों में हाहाकार मचा हुआ है। विश्व में इस महामारी के कारण मृत्युदर लगभग 6 प्रतिशत है, जो भारत में लगभग 3 प्रतिशत है। उत्तर प्रदेश और बेहतर स्थिति में है क्योंकि यहां पर मृत्युदर लगभग 2.2 ही प्रतिशत है।