कुछ दिन पहले बीजेपी नेताओं पर लगाए थे आरोप आपको याद दिला दें इसके ठीक विपरीत अब से पहले जब इन्हीं एसएसपी अशोक कुमार त्रिपाठी के पास अपने कार्यकर्ताओं के उत्पीड़न संबंधी मामलों को लेकर के मिलने के लिए आए शिवपाल सिंह यादव ने अपराधियों के स्थान पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और उनके कार्यकर्ताओं का जिक्र यह कहकर किया था कि पुलिस भारतीय जनता पार्टी के प्रभावी सत्तारूढ़ नेताओं के इशारे पर उनके समर्थक कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न करने में जुटी हुई है।
बीजेपी के लिए शिवपाल के तेवर नरम चंद दिन में ही शिवपाल सिंह यादव के बदलते बयान यह बताते हैं कि कहीं न कहीं उनके तेवर में भारतीय जनता पार्टी के प्रति नरमी आई है। नरमी के पीछे तमाम तरह की वजह इस समय राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनकी कई बार मुलाकात हो चुकी है। उन मुलाकातों के बीच में जो बातें हुई हैं वह तो स्पष्ट नहीं हो सकीं। लेकिन यह तय है कि जब उनकी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से मुलाकात हुई, उसके बाद ही शिवपाल सिंह यादव के सुर बदले नजर आ रहे हैं।
दामाद को सीएम योगी का गिफ्ट इसके साथ ही एक और बात बड़ी तेजी से चल रही है कि उनके आईएएस दमाद अजय यादव (जो तमिलनाडु कैडर के हैं और उनकी उत्तर प्रदेश में डेप्यूटेशन पर तैनाती है) की समय सीमा खत्म हो रही थी, जिसको रूकवाने में शिवपाल सिंह मुख्यमंत्री योगी से मिलकर कामयाब हो गए। इतना ही नहीं जब से शिवपाल सिंह यादव की अनबन समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से हुई होती हुई दिखाई दी है, तब से भी भारतीय जनता पार्टी के प्रभावशाली नेता शिवपाल सिंह यादव को तवज्जो और तरजीह देने लगे हैं।
बीजेपी प्रदेश अध्यश्र ने की थी शिवपाल की तारीफ खुद भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडे ने शिवपाल सिंह यादव के समाजवादी सेक्यूलर मोर्चा के गठन को लेकर के उठाए गए कदम पर कहा था कि शिवपाल सिंह यादव जमीनी नेता हैं और अखिलेश यादव को सबकुछ विरासत में मिला है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि सत्तारूढ भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अपने प्रतिद्वंदी राजनीतिक दल के नेता की तारीफ आखिरकार क्यों कर रहे हैं। निश्चित है कि महेंद्र नाथ पांडे की तारीफ करने के पीछे कहीं न कहीं भाजपा हाईकमान की ओर से इशारा होगा, तभी नरम रुख नजर आ रहा है। इसीलिए शिवपाल सिंह यादव भी भाजपा के प्रति अब उतने तल्ख नहीं हैं, जितने पहले कभी हुआ करते थे।