इटावा

EXCLUSIVE : डाकू निर्भय गूर्जर के दत्तक पुत्र पर दर्ज थे 36 मुकदमे, कोर्ट ने किया बरी

डाकू निर्भय गूर्जर के दत्तक पुत्र श्याम जाटव की कहानी…

इटावाMay 15, 2018 / 07:48 pm

Hariom Dwivedi

दिनेश शाक्य
इटावा. कभी वह दिल्ली की चकाचौंध में जीता था। नसीब उसे बीहड़ में ले गयी। एक वक्त आया जब चंबल घाटी में उसकी तूती बोलने लगी। वह नामी शूटर और दुर्दांत डकैत बना। उसका निशाना कभी चूकता नहीं था। उस पर 36 मुकदमे दर्ज थे। न जाने कितनी लूट और हत्याओं में उसका नाम था। करोड़ों की लूटी गयी संपत्ति का वह अघोषित मालिक था। शादी हुई लेकिन पत्नी को कोई और दिल दे बैठा। इससे वह आक्रोशित हुआ। अपनों से बदला लेने के लिए बड़ी साजिश रची। लेकिन, अंत में फिर प्यार की गिरप्त में आ गया। उसका यह प्यार परवान चढ़ा। इस प्यार की खातिर उसने एक दिन इस जरायम की दुनिया छोड़ दी। लेकिन, यहां भी उसे सुकून न मिला। जेल चला गया। लंबे समय तक जेल में रहा। अब वह आजाद हुआ है। सभी मुकदमों में बरी होने के बाद वह आजाद हवा में सांस ले सकेगा। बड़ी उतार चढ़ाव वाली जिंदगी का यह इंसान कोई और नहीं बल्कि कुख्यात निभर्य गुर्जर के दत्तक पुत्र श्याम जाटव की कहानी है। जिसे अदालत ने डाकू नहीं और बाइज्जत बरी कर दिया। अब श्याम अपने परिवार के बीच आम इंसान की तरह जिंदगी बसर करेगा।
22 साल पहले की कहानी
22 साल पीछे चलते हैं। 14 मार्च 1996 की बात है। तब श्याम 14 साल का था। नयी दिल्ली के मंगोलपुरी पी 1/127 में श्याम का निवास था। वह अपने दोस्तों के साथ दिल्ली के कलामंदिर सिनेमा हॉल में हकीकत फिल्म देखने गया था। इसी दरम्यान श्याम का निर्भय गुर्जर गैंग ने अपहरण कर लिया। श्याम के पिता डालचंद्र ठेकेदार थे। उम्मीद थी फिरौती में मोटी रकम मिलेगी। लेकिन,ऐसा हुआ नहीं। एकाएक श्याम दिल्ली की चकाचौंध गलियों से बीहड़ में पहुंच गया। इस बीच डालचंद ने दिल्ली पुलिस की मदद ली। निर्भय गैंग से श्याम जाटव को मुक्त कराने की भरपूर कोशिश हुई लेकिन सभी प्रयास निरर्थक। श्याम 2 साल तक निर्भय की कड़ी कैद में रहा। जंगलों में निर्भय गैंग मे मुन्नी पांडे महिला डकैत श्याम का लालन-पालन करती थी। श्याम इसे मम्मी कहने लगा। इस बीच नन्हा श्याम जाटव निर्भय गुर्जर के नजदीक होने लगा। निर्भय का भी लगाव श्याम के प्रति बढ़ता गया। एक षडयंत्रकारी घटना की जानकारी उजागर करने के बाद श्याम के प्रति निर्भय का विश्वास और बढ़ गया।
मारे गए मुन्नी पांडे और मुन्ना गुर्जर
हुआ यूं कि मुन्नी पांडे और मुन्ना गुर्जर मिल कर निर्भय की हत्या कर खुद गैंग का मुखिया बनने का सपना देखने लगे। इस योजना के सबंध में चल रही गुप्त वार्ता को श्याम ने सुन लिया। इसकी जानकारी उसने निर्भय गुर्जर को दी। बाद में निर्भय ने मुन्नी पांडे से इस बाबत पूछा तो उसने मना कर दिया। इसके बाद मुन्नी पांडे और मुन्ना गुर्जर गैंग छोडकऱ भाग गए। इनकी बाद में निर्भय ने इन दोनों की हत्या करवा दी।
श्याम की हो गयी ताजपोशी
इस घटना के कुछ दिन बाद श्याम जाटव को निर्भय ने अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। जब मुन्नी पांडे एवं मुन्ना गुर्जर गैंग से भागे थे तो उन्होंने सरला जाटव के यहां शरण ली थी। बदले की आग में जल रहे निर्भय ने सरला के घर धावा बोल कर उसके चाचा की हत्या कर दी थी। और सरला जाटव का अपहरण कर लिया था। इसी सरला से निर्भय ने श्याम जाटव की शादी करवा दी। शादी के बाद श्याम गैंग में पूरी तरह रम गया। और बड़ा नामी शूटर बना। इस बीच एक और अनहोनी घटी। श्याम जाटव की पत्नी सरला जाटव से निर्भय के शारीरिक संबंध बन गए। जब इसकी जानकारी श्याम को हुई तो पहले उसे विश्वास नहीं हुआ परंतु एक दिन किसी बात पर सरला ने श्याम को चाटा मार दिया। इससे श्याम का संदेह पक्का हो गया। इसके बाद श्याम ने निर्भय गुर्जर से बगावत करते हुए किसी लडक़ी से अपनी शादी की घोषणा कर दी। इसके लिए श्याम ने नीलम गुप्ता को मोहरा बनाया। उसे गैंग तक पहुंचाया गया। इस बीच अजीतमल इलाके में पुलिस से मुठभेड़ हुई जिसमें श्याम जाटव घायल हो गया। सेवा सत्कार के दौराना नीलम को श्याम से प्यार हो गया। दोनों ने 26 जुलाई 2004 की रात्रि जालौन के खडग़ोई बीहड़ से भागकर जसवंतनगर होते हुए अलवर पहुंचे। और 31 जुलाई 2004 को श्याम जाटव और नीलम गुप्ता ने स्पेशल जज एंटी डकैती के समक्ष आत्म समर्पण कर दिया।
…और इस तरह फंसता गया मुकदमों में
उधर, 17 अप्रैल 2004 को औरैया के अयाना क्षेत्र के सिहौली ग्राम के बीहड़ में दस्यु निर्भय सिंह गुर्जर की पुलिस मुठभेड़ हुई। इसमें निर्भय गैंग ने एक अपहृत विद्याराम दुबे की गोली मारकर हत्या कर दी। इस मामले में श्याम जाटव के अलावा नीलम गुप्ता, निर्भय सिंह गुर्जर, बुद्ध सिंह उर्फ लाठी वाला व सरला जाटव को भी नामजद किया गया। इस मामले में श्याम जाटव को दोषमुक्त कर दिया गया। कोर्ट ने कहा कि जिस समय श्याम जाटव का अपहरण किया गया उस समय उसकी उम्र 14 साल थी। वह आठ वर्ष तक निर्भय के संरक्षण में बीहड़ में रहा। इस दौरान उस पर कानपुर, उरई, इटावा, औरैया, भिंड जिलों के करीब 36 मुकदमे दर्ज हुए।
36 मुकदमों में हुआ बरी
बहरहाल, 14 वर्ष तक कानूनी प्रक्रिया के चलते जेल में निरुद्ध रहने के बाद अब सभी केसों से बरी होकर श्याम खुली हवा में सांस ले सकेगा। श्याम जाटव को यह आजादी 10 मई 2018 को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के समक्ष चल रहे अंतिम केस में बरी हो जाने के बाद मिली है। उसके अधिवक्ता फरहत अली खां, भूकेश मिश्र, मो. सगीर, कुरैशी, हिना कौसर का कहना है कि उसके मां बाप की पैरवी से श्याम जाटव सभी 36 मुकदमों में बरी हुआ। श्याम जाटव अब अपने मां बाप के पास राजस्थान में अपने घर में रहेगा। बताया जा रहा है कि कई फिल्म निर्माता उसे रोल देने की तैयारी में हैं। क्योंकि डाकू जीवन में श्याम जाटव बिल्कुल अजय देवगन माफिक लगता था।
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