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जानिए पूरा मामला
रेलवे के अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि कालका के एसएलआर कोच में क्षमता से अधिक लोड होने के कारण बफर बैठ गए थे। इटावा स्टेशन पर ट्रेेन के रुकने के बाद रेलवे कर्मचारियों व कुलियों ने कोच से अतिरिक्त सामान उतारा जिसके चलते एक घंटे तक ट्रेन स्टेशन पर खड़ी रही और यात्री परेशान होते रहे। परेशान यात्रियों ने हंगामा काटा। मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने यात्रियों को समझा-बुझाकर शान्त किया। ट्रेन रवाना होने के बाद यात्रियों को राहत मिली। इस दौरान कई ट्रेनें लूप लाइन से निकाली गई।
कालका से हावड़ा जा रही गाड़ी संख्या 2312 डाउन कालका मेल में इंजन के पीछे एसएलआर कोच लगा हुआ था, इसमें पहले से ही काफी ज्यादा सामान कालका से लोड हुआ था। वहीं शिकोहाबाद से भी एसएलआर कोच में जब अतिरिक्त सामान लोड हुआ तो ट्रेन के बफर बैठने लगे। शिकोहाबाद से जब ट्रेन रवाना हुई तो ड्राईवर को बफर बैठने का आभास हुआ और उसने तुरन्त ही इसकी जानकारी टून्डला कंट्रोल को दी। कंट्रोल के द्वारा इटावा स्टेशन के अधिकारियों को इसकी जानकारी दी गई। ट्रेन दोपहर 12 बजकर 21 मिनट पर प्लेटफार्म नंबर 3 पर आकर रुकी तो स्टेशन पर पहले से मौजूद वाणिज्य निरीक्षक नरेश मीना, यातायात निरीक्षक डीएस मीना, आरपीएफ इंस्पेक्टर बीके शर्मा, एसआई टीएस चाहर, टीएक्सआर के अवर अभियंता प्रदीप सिंह सचान मौजूद थे। इन सभी के द्वारा एसएलआर कोच को चैक किया गया तो पाया गया कि उसमें सामान अधिक था।
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सामान उतारने में लगभग एक घंटे का समय लगा
अधिकारियों ने कुली व रेल कर्मचारियों के माध्यम से एसएलआर कोच में भरे 64 बोरे सेम की फली व 23 टीन वनस्पति घी उतरवाया। इसके बाद टीएक्सआर टीम ने जो बफर बैठे हुए थे उन्हें दुरुस्त किया। सामान उतारने में लगभग एक घंटे का समय लगा। जिसके कारण उस उमस भरी गर्मी में यात्री परेशान होते रहे। परेशान यात्रियों ने हंगामा भी काटा। ट्रेन दोपहर 1 बजकर 22 बजे आगे के लिए रवाना हो सकी। अधिकारियों का कहना है कि लोड अधिक होने के कारण बफर के स्प्रिंग बैठ गए थे। अतिरिक्त सामान को उतरवाया गया है जिसे किसी दूसरी गाड़ी से भेजा जाएगा।