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वृन्दावन धाम में 11 मन पंचामृत से हुआ ठाकुरजी का महाभिषेक

locationइटावाPublished: Sep 03, 2018 10:02:21 pm

Submitted by:

Ashish Pandey

, चार घंटे तक चले महाभिषेक को टकटकी लगाये निहारते रहे श्रद्धालु.

etawah

वृन्दावन धाम में 11 मन पंचामृत से हुआ ठाकुरजी का महाभिषेक

इटावा. शहर के छैराहा स्थित वृन्दावन धाम श्री राधाबल्लभ मंदिर पर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व सोमवार को श्रद्धाभाव के साथ हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस पावन अवसर पर श्री राधाबल्लभ लालजी महाराज का 11 मन दूध दही से बनाए गए पंचामृत से महाभिषेक किया गया। अभिषेक के समय साक्षात बृज का नजारा देखने को मिला। हजारों की संख्या में जिले के ही नहीं देश के कई राज्यों से श्रद्धालु महाभिषेक में शामिल होने के लिए आये थे। अभिषेक के समय जय जय श्रीराधे व राधाबल्लभ लाल के जयघोष गुंजायमान रहे। देर शाम भगवान का आकर्षक श्रृंगार भी किया गया। जिसे देखने के लिए भक्तों की भारी भीड़ मंदिर में रही।
नगर वासियों को श्री राधाबल्लभ मंदिर पर होने वाले महाभिषेक का काफी पहले से इंतजार रहता है। जिसका नजारा जन्माष्टमी पर देखने को मिलता है। भगवान के जन्मोत्सव पर तैयारियां वैसे तो कई दिन पहले से शुरु हो गईं थीं। जन्माष्टमी पर जो श्रद्धालु मथुरा व वृन्दावन नहीं पहुंच सके उन सभी ने यहीं पर बृज का आनंद उठाया। मंदिर के महंत गोस्वामी प्रकाशचंद्र महाराज ने सुबह सबसे पहले ठाकुरजी का विशेष पूजन अर्चन किया। दोपहर 12 बजे मंदिर
के गर्भगृह से श्री राधाबल्लभ लालजी की भव्य प्रतिमा को बाहर लाया गया और पथरौटे में विराजमान किया गया। लंगोट धारण किए ठाकुर जी के दर्शनों की एक झलक को भक्त आतुर दिखाई दिए। इसके बाद महाभिषेक का सिलसिला शुरु हुआ। मंदिर के महंत गोस्वामी प्रकाश चंद्र महाराज, चंद्रप्रकाश गोस्वामी, वृन्दावन से आए योगेश प्रभु, अमित गोस्वामी, गोपाल गोस्वामी, प्रथम शर्मा व उमेश तिवारी ने बारी-बारी से भगवान का अभिषेक किया। सबसे पहले जल से
अभिषेक हुआ। इसके बाद दूध, दही, शहद, धृत व पंचमेवा से अभिषेक हुआ और दूध दही की धारा बराबर चलती रही। गोस्वामी प्रकाश चंद्र महाराज भगवान के ऊपर चंवर डुलाते रहे। कृष्णभक्ति गीतों के गायक बलवीर पांडे अभिषेक के बीच में जन्म बधाईयां गाते रहे। जिन पर श्रद्धालु थिरकते रहे। उनके द्वारा यशोदा जायो ललना मचो है आज हल्ला, बृज में घर घर बजे बधाई, नंद लाला प्रगट भये आज बृज में लड़़़ुआ बटे, बज रही आज बधाई नंद जू के अंगना में आदि कई गीत सुनाए गए। उनके द्वारा गाई गईं बधाईयों पर महिलाएं व बच्चे अपने को थिरकने से नहीं रोक पाए वहीं वृंदावन से आई सरस कथावाचक राधिका गोस्वामी के भजनों पर भी श्रद्धालु झूमते रहे। अभिषेक के बाद ठाकुरजी की महाआरती उतारी गई और भक्तों को पंचामृत का प्रसाद वितरित किया गया।
बालरूप भगवान को भक्तों ने निहारा
श्री राधाबल्लभ मंदिर पर ठाकुरजी का वैसे तो हर त्योहार पर विशेष श्रंगार किया जाता है लेकिन जन्माष्टमी के पावन पर्व पर भक्तों के ठाकुर जी के बालरूप के दर्शन भी कराए जाते हैं। यह दर्शन करके भक्त अपने आप को धन्य मानते हैं। महाभिषेक के बाद महंत गोस्वामी प्रकाश चंद्र महाराज ने ठाकुर जी को झबला व टोपी लगाकर श्रंगार किया और उन्हें मेवा व तुलसी की माला भी धारण कराई। इस अद्भुत दर्शन के लिए भक्तों का भारी हुजूम मंदिर में उमड़ पड़ा। हर कोई भगवान की इस छवि को निहारने के लिए आतुर दिखाई दिया।
खूब हुई फल व मेवा की लुटाई

वृन्दावन धाम में भगवान राधाबल्लभ लाल के अभिषेक के बीच बीच में जमकर फल, मेवा, फूल, टॉफी, बिस्किट आदि की लुटाई का सिलसिला बराबर चलता रहा। मंदिर के महंत के द्वारा जहां लुटाई की गई वहीं कई भक्त भी अपने
घरों से लुटाई का सामान लेकर आए थे। उनके द्वारा भी जमकर लुटाई की गई। भगवान के जन्मोत्सव पर होने वाली लुटाई में हर भक्त कुछ न कुछ पाना चाहता था। जहां बच्चों में इसे लेकर काफी उत्साह था वहीं महिलाएं भी इससे पीछे
नहीं रहीं।
गुब्बारों व फूलों से सजाया गया मंदिर
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर श्री राधाबल्लभ मंदिर की सजावट देखते ही बन रही थी। पूरे मंदिर परिसर को जहां रंग बिरंगे फूलों व गुब्बारों से सजाया गया था वहीं मंदिर परिसर के बाहर बिजली की आकर्षक सजावट की गई थी वहीं ठाकुर जी के गर्भगृह में बेला, चमेली, गुलाब व अन्य फूलों से सजावट की गई थी। सजावट के लिए वृंदावन व अन्य क्षेत्रों से फूल मंगाये गये थे। फूलों की भीनी भीनी खुशबू से पूरा मंदिर महकता रहा।
भगवान की भक्ति अश्वमेघ यज्ञ के समान

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए गोस्वामी प्रकाश चंद्र महाराज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति जीवन को खुशहाल बनाती है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान की पूजा व व्रत से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल मिलता है। कलयुग में सबसे ज्यादा महत्व भक्ति का है, प्रभु के नाम मात्र से मनुष्य इस जन्म का उद्धार कर सकता है।
राधाप्रिय भगवान कृष्ण की जन्माष्टमी पर पूजा अर्चना करने से कई जन्मों के पाप भी उतर जाते हैं। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण का लीलामय जीवन अनेक प्रेरणाओं व मार्ग दर्शन से भरा हुआ है। उन्हें पूर्ण पुरुष लीलाअवतार भी
कहा गया है।

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