बालरूप भगवान को भक्तों ने निहारा
श्री राधाबल्लभ मंदिर पर ठाकुरजी का वैसे तो हर त्योहार पर विशेष श्रंगार किया जाता है लेकिन जन्माष्टमी के पावन पर्व पर भक्तों के ठाकुर जी के बालरूप के दर्शन भी कराए जाते हैं। यह दर्शन करके भक्त अपने आप को धन्य मानते हैं। महाभिषेक के बाद महंत गोस्वामी प्रकाश चंद्र महाराज ने ठाकुर जी को झबला व टोपी लगाकर श्रंगार किया और उन्हें मेवा व तुलसी की माला भी धारण कराई। इस अद्भुत दर्शन के लिए भक्तों का भारी हुजूम मंदिर में उमड़ पड़ा। हर कोई भगवान की इस छवि को निहारने के लिए आतुर दिखाई दिया।
श्री राधाबल्लभ मंदिर पर ठाकुरजी का वैसे तो हर त्योहार पर विशेष श्रंगार किया जाता है लेकिन जन्माष्टमी के पावन पर्व पर भक्तों के ठाकुर जी के बालरूप के दर्शन भी कराए जाते हैं। यह दर्शन करके भक्त अपने आप को धन्य मानते हैं। महाभिषेक के बाद महंत गोस्वामी प्रकाश चंद्र महाराज ने ठाकुर जी को झबला व टोपी लगाकर श्रंगार किया और उन्हें मेवा व तुलसी की माला भी धारण कराई। इस अद्भुत दर्शन के लिए भक्तों का भारी हुजूम मंदिर में उमड़ पड़ा। हर कोई भगवान की इस छवि को निहारने के लिए आतुर दिखाई दिया।
खूब हुई फल व मेवा की लुटाई वृन्दावन धाम में भगवान राधाबल्लभ लाल के अभिषेक के बीच बीच में जमकर फल, मेवा, फूल, टॉफी, बिस्किट आदि की लुटाई का सिलसिला बराबर चलता रहा। मंदिर के महंत के द्वारा जहां लुटाई की गई वहीं कई भक्त भी अपने
घरों से लुटाई का सामान लेकर आए थे। उनके द्वारा भी जमकर लुटाई की गई। भगवान के जन्मोत्सव पर होने वाली लुटाई में हर भक्त कुछ न कुछ पाना चाहता था। जहां बच्चों में इसे लेकर काफी उत्साह था वहीं महिलाएं भी इससे पीछे
नहीं रहीं।
घरों से लुटाई का सामान लेकर आए थे। उनके द्वारा भी जमकर लुटाई की गई। भगवान के जन्मोत्सव पर होने वाली लुटाई में हर भक्त कुछ न कुछ पाना चाहता था। जहां बच्चों में इसे लेकर काफी उत्साह था वहीं महिलाएं भी इससे पीछे
नहीं रहीं।
गुब्बारों व फूलों से सजाया गया मंदिर
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर श्री राधाबल्लभ मंदिर की सजावट देखते ही बन रही थी। पूरे मंदिर परिसर को जहां रंग बिरंगे फूलों व गुब्बारों से सजाया गया था वहीं मंदिर परिसर के बाहर बिजली की आकर्षक सजावट की गई थी वहीं ठाकुर जी के गर्भगृह में बेला, चमेली, गुलाब व अन्य फूलों से सजावट की गई थी। सजावट के लिए वृंदावन व अन्य क्षेत्रों से फूल मंगाये गये थे। फूलों की भीनी भीनी खुशबू से पूरा मंदिर महकता रहा।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर श्री राधाबल्लभ मंदिर की सजावट देखते ही बन रही थी। पूरे मंदिर परिसर को जहां रंग बिरंगे फूलों व गुब्बारों से सजाया गया था वहीं मंदिर परिसर के बाहर बिजली की आकर्षक सजावट की गई थी वहीं ठाकुर जी के गर्भगृह में बेला, चमेली, गुलाब व अन्य फूलों से सजावट की गई थी। सजावट के लिए वृंदावन व अन्य क्षेत्रों से फूल मंगाये गये थे। फूलों की भीनी भीनी खुशबू से पूरा मंदिर महकता रहा।
भगवान की भक्ति अश्वमेघ यज्ञ के समान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए गोस्वामी प्रकाश चंद्र महाराज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति जीवन को खुशहाल बनाती है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान की पूजा व व्रत से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल मिलता है। कलयुग में सबसे ज्यादा महत्व भक्ति का है, प्रभु के नाम मात्र से मनुष्य इस जन्म का उद्धार कर सकता है।
राधाप्रिय भगवान कृष्ण की जन्माष्टमी पर पूजा अर्चना करने से कई जन्मों के पाप भी उतर जाते हैं। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण का लीलामय जीवन अनेक प्रेरणाओं व मार्ग दर्शन से भरा हुआ है। उन्हें पूर्ण पुरुष लीलाअवतार भी
कहा गया है।
राधाप्रिय भगवान कृष्ण की जन्माष्टमी पर पूजा अर्चना करने से कई जन्मों के पाप भी उतर जाते हैं। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण का लीलामय जीवन अनेक प्रेरणाओं व मार्ग दर्शन से भरा हुआ है। उन्हें पूर्ण पुरुष लीलाअवतार भी
कहा गया है।