एशिया कप में भारत-पाकिस्तान के हाईइवोल्टेज मुकाबले से पहले महबूब हसन ने भांजे से बात की थी। इस दौरान उन्होंने जहां भारत-पाकिस्तान मैच पर चर्चा की, वहीं यह भी कहा कि मैं चाहता हूं कि रिटायरमेंट के बाद वह पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बने। हसन ने बताया कि उनकी बात सुनकर सरफराज हंसते हुए बोला- क्यों मजाक करते हो मामा?
भांजे सरफराज अहमद की आलोचना करने वाले पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटरों में मामा हसने बेहद खफा दिखे। उन्होंने कहा कि उनके भाजे की काबिलियत लोगों को हजम नहीं हो रही है। वो सिर्फ राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश में अभी भी मोहाजिरों (हिंदुस्तान से गए मुसलमान) को घृणा की नजर से देखा जाता है और उनसे दूरी रखी जाती है।
सरफराज की शादी में गये थे कराची
मामा हसन ने बताया कि मई 2015 में 19 मई को वे सरफ़राज़ की शादी में कराची गए थे। उस वक्त भी सरफ़राज़ के मोहाजिर होने की बात पाकिस्तानी मीडिया ने उठाई थी। सरफराज, महबूब हसन की पाकिस्तान के कराची शहर में रहने वाली बहन अकीला बानो का बेटा है।
मामा हसन ने बताया कि मई 2015 में 19 मई को वे सरफ़राज़ की शादी में कराची गए थे। उस वक्त भी सरफ़राज़ के मोहाजिर होने की बात पाकिस्तानी मीडिया ने उठाई थी। सरफराज, महबूब हसन की पाकिस्तान के कराची शहर में रहने वाली बहन अकीला बानो का बेटा है।
कुंडा के मूल निवासी हैं महबूब हसन
महबूब हसन उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के दिलेरगंज, कुंडा के मूलरूप से रहने वाले हैं, लेकिन 1995 में हसन की नौकरी इटावा में लग जाने से पूरा परिवार यहीं रह रहा है। बकौल हसन 1991 में उनकी शादी के दौरान ही करीब 4 साल की उम्र में सरफराज हिंदुस्तान आया था, उस समय शादी इलाहबाद में हुई थी। सरफराज की मां अकीला बानो एक दफा 2010 में इटावा के डॉ. भीमराव अंबेडकर कृषि इंजीनियरिंग कालेज आ चुकी है, लेकिन बीजा नियमावली के मुताबिक सिर्फ कुंडा में ही रुकने की अनुमति थी इसलिए आकर जल्द ही चली गई थी।
महबूब हसन उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के दिलेरगंज, कुंडा के मूलरूप से रहने वाले हैं, लेकिन 1995 में हसन की नौकरी इटावा में लग जाने से पूरा परिवार यहीं रह रहा है। बकौल हसन 1991 में उनकी शादी के दौरान ही करीब 4 साल की उम्र में सरफराज हिंदुस्तान आया था, उस समय शादी इलाहबाद में हुई थी। सरफराज की मां अकीला बानो एक दफा 2010 में इटावा के डॉ. भीमराव अंबेडकर कृषि इंजीनियरिंग कालेज आ चुकी है, लेकिन बीजा नियमावली के मुताबिक सिर्फ कुंडा में ही रुकने की अनुमति थी इसलिए आकर जल्द ही चली गई थी।
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