100 से ज्यादा थे मामले कानपुर रेंज के डीआईजी दलजीत चौधरी की अगुआई वाली पुलिस टीम ने मुठभेड़ कर मौके से एक मशीन गन, एक डबल बैरल बंदूक और भारी मात्रा में कारतूसों को बरामद किया। सलीम के सिर पर 1.5 लाख रुपये का नकद इनाम था। इसके बाद पुलिस महानिदेशक बुआ सिंह ने मुठभेड़ में शामिल 10 एसओजी कर्मियों के लिए पदोन्नति की घोषणा की थी। सलीम गुर्जर राजस्थान, यूपी, मध्यप्रदेश, दिल्ली में अपहरण और अपराध के 100 से ज्यादा मामलों में पुलिस के निशाने पर था।
मुठभेड़ के बाद मिले दो शव करीब 45 मिनट चली मुठभेड़ के बाद जब फायरिंग बंद हो गई, तो पुलिस को दो शव मिले। जिन्हें बाद में सलीम और उसकी प्रेमिका गीता के रूप में पहचाना गया। प्रेमिका के ऊपर भी 10,000 रुपये का इनाम था। सलीम के साथ मारी गई गीता जाटव इटावा जिले के सहसो इलाके के रानीपुरा गांव की रहने वाली थी। जिसका 28 अगस्त 2005 में अपहरण हो गया था। गीता के भाई चंद्रसेन ने अपनी बहन के अपहरण का मुकदमा दर्ज करवाया था, लेकिन सलीम और जगजीवन परिहार के गैंग के बीच हुई मुठभेड के बाद मुक्त हुए एक किशोर के बयान के बाद पुलिस ने गीता को डकैत मान उस पर भी ईनाम घोषित कर दिया।
जालौन का रहने वाला था सलीम सलीम गुर्जर मूल रूप से जालौन जिले के रमपुरा इलाके के बिलौड गांव का रहने वाला था। एक समय सलीम गैंंग चंबल में काफी खूंखार गैंग के तौर पर एक्टिव हुआ करता था। सलीम की चंबल के दूसरे खूंखार डकैत जगजीवन परिहार से गैंगवार चला करती थी। इसी गैंगवार के बीच कई दफा सलीम गैंग के दर्जनों सदस्य मौत के घाट उतारे गये।
बहन-बहनोई को लड़ाया चुनाव मुहर लगाओ …. पर, वरना गोली खाओ छाती पर …. कभी चंबल घाटी में चुनाव के दौरान ऐसे नारों की गूंज हुआ करती थी। चंबल के हर डकैत ने कमोवेश अपने करीबी नाते रिश्तेदार को चुनाव जितवाने के लिए फरमानों को सहारा लेने में गुरेज नहीं किया। उन्हीं में से एक सलीम गूर्जर भी रहा। क्वारी नदी की गोद में बसे विंडवा कला गांव में दस्यु सलीम गुर्जर ने अपनी बहन को 1995 में प्रधान बनवाया, तो 2000 में अपने बहनोई को प्रधानी का ताज पहनवाने में कामयाबी हासिल कर ली।