जनमत संग्रह के बाद हुआ फैसला
भारतीय दंत चिकित्सक सविता हलप्पनवार की 2012 में गर्भपात की इजाजत नहीं मिलने पर आयरलैंड में मौत हो गई थी। बार-बार गर्भपात की मांग के बावजूद उन्हें इसकी इजाजत नहीं मिली थी। ऐसे में गर्भावस्था के दौरान संक्रमण के कारण सविता की मौत हो गई थी। इस मौत की वजह से आयरलैंड में एक बड़ा आंदोलन खड़ा हो गया जिसके बाद जनमत संग्रह कराया गया। 25 मई को कराए गए ऐतिहासिक जनमत संग्रह में लोगों ने गर्भपात कानूनों में बदलाव के समर्थन में वोट किया। सविता के पिता आनंदप्पा यालगी की मांग है कि इस ऐतिहासिक कानून का नाम उनकी बेटी के नाम पर ‘सविता लॉ’ रखा जाए।
इससे पहले ये था कानून
संसद में इस कानून के पास होने से पहले आयरलैंड में गर्भपात कराना गैरकानूनी था। यहां के कानून के मुताबिक जीवन खतरे में होने पर भी कोई महिला गर्भपात नहीं करा सकती थी। यदि कोई महिला अवैध तरीके से गर्भपात कराती या गर्भपात में कोई मदद करता तो 14 साल तक की सजा हो सकती थी। बता दें कि 1980 से अब तक करीब एक लाख 70 हजार आयरिश महिलाओं को गर्भपात कराने के लिए पड़ोसी देश ब्रिटेन जाना पड़ा है।