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आतंकवाद पर दोहरा मानदंड बर्दाश्त नहीं : सुषमा  स्वराज

Published: Apr 18, 2016 11:55:00 pm

सुषमा ने रूस-भारत-चीन (आरआईसी) के विदेश मंत्रियों की 14वीं बैठक के दौरान ये बातें कहीं

Sushma Swaraj

Sushma Swaraj

मॉस्को। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सोमवार को कहा कि आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है और विभिन्न देश इसके खिलाफ लड़ाई में दोहरा मानदंड नहीं अपना सकते। सुषमा ने चीन के विदेश मंत्री के साथ मुलाकात में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को प्रतिबंधित करने के भारत के प्रस्ताव पर चीन के वीटो का मुद्दा उठाया।

सुषमा ने रूस-भारत-चीन (आरआईसी) के विदेश मंत्रियों की 14वीं बैठक में कहा, अगर हम आतंकवाद के खिलाफ निपटने में दोहरे मापदंड अपनाते रहेंगे, तो इसका न सिर्फ हमारे देशों के लिए बल्कि पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए गंभीर नतीजा होगा। सुषमा ने आरआईसी देशों का आह्वान किया कि वे आतंक के खिलाफ लड़ाई में संयुक्त राष्ट्र समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय को कार्रवाई का रास्ता दिखाएं।

सुषमा ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के मुद्दे को उठाते हुए कहा कि यह मुद्दा तत्काल हल होना चाहिए और उन्होंने इसके लिए चीन और रूस का समर्थन मांगा। उन्होंने कहा, इस संबंध में कुछ सकारात्मक गतिविधियां देखने को मिल रही हैं। पहली बार इस मुद्दे से संबंद्ध मसौदे को अंतरसरकारी (आईजीएन) वार्ता की मेज पर रखा गया। मैं इस मुद्दे पर अपने चीनी और रूसी सहयोगियों से समर्थन मांगती हूं ताकि आईजीएन की प्रक्रिया आगे बढ़े।

वैश्विक अर्थव्यवस्था में छाई सुस्ती पर भारतीय मंत्री ने कहा कि तीन बड़ी उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं भारत, रूस और चीन का एक जैसा ही दृष्टिकोण है और ‘हमारे दृष्टिकोणों का समन्वयÓ होने से फायदा हो सकता है। सुषमा ने इस साल अक्टूबर में गोवा में होने वाले ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) सम्मेलन में सभी संबद्ध पक्षों से सक्रिय भागीदारी करने की अपील की।

उन्होंने कहा, हम आशा करते हैं कि गोवा में अक्टूबर में होने वाला ब्रिक्ससम्मेलन सफल रहेगा। आरआईसी बैठक के बाद मीडिया को जारी एक बयान में सुषमा ने कहा कि आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है। बयान में उन्होंने कहा कि रूस और चीन के विदेश मंत्रियों के साथ मध्यपूर्व और अफगानिस्तान की स्थिति पर भी काफी लाभकारी बातचीत हुई है।

बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन में सुषमा ने कहा कि तीनों देश, भारत, रूस और चीन आतंकवाद से पीडि़त हैं। यह हमारे लिए स्वाभाविक है कि हम आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एकजुट होकर दुनिया का नेतृत्व करें। सुषमा स्वराज ने सोमवार के दिन की शुरुआत चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात के साथ की। इसमें उन्होंने चीन द्वारा संयुक्त राष्ट्र में भारत की जैश-ए-मुहम्मद सरगना मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने की मांग को चीन द्वारा वीटो करने का मुद्दा उठाया।

सुषमा ने संवाददाता सम्मेलन में चीन के विदेश मंत्री के साथ मुलाकात की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि उन्होंने चीन के मंत्री से कहा कि अगर आतंकवाद के खिलाफ हमें अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करना है तो इस मुद्दे पर (अजहर के मुद्दे पर वीटो) हमें पुनर्विचार करना होगा।

सुषमा ने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लोवरोव से भी द्विपक्षीय मुलाकात की। लोवरोव ने इस साल की शुरुआत में रूस में हुई तीन भारतीयों की मौत की जांच की प्रगति के बारे में जानकारी दी। इस बैठक के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बताया, विदेश मंत्री ने तीन भारतीय नागरिकों की मौत का मामला अपने रूसी समकक्ष के साथ उठाया। यासिर जावेद की कजान में हत्या की गई थी। पूजा कल्लूर और करिश्मा उदय भोंसले स्मोलेंस स्टेट मेडिकल एकेडमी में आग लगने के दौरान मारी गईं थीं।

उन्होंने बताया कि लावरोव ने इन मामलों की जांच में हुई प्रगति के बारे में बताया। सुषमा और लोवरोव ने सीरिया के हालात पर भी विस्तृत चर्चा की। इसके अलावा उन्होंने भारत और रूस के बीच अंतर सरकारी आयोग (आईआरआईजीसी) के बारे में चर्चा की जिसकी अगली बैठक की मेजबानी भारत करने वाला है। सुषमा स्वराज ने रूस के उप प्रधानमंत्री दिमित्री रोगोजिन से भी मुलाकात की। रोगोजिन व्यापार व आर्थिक सहयोग पर भारत-रूस अंतरसरकारी आयोग के सह अध्यक्ष हैं।
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