सीरिया में ही बने रहेंगे फ्रांस के सैनिक
दरअसल, अमरीका का ये दावा कि इस्लामिक स्टेट (आईएस) की हार हो चुकी है, सहयोगियों और खुद अमरीकी राजनेताओं की नजर में विवादों के घेरे में है। इसी क्रम में फ्रांस ने भी अपनी नाराजगी जाहिर की है। बता दें कि फ्रांस जो सीरिया और इराक में आईएस के खिलाफ अमरीकी नेतृत्व वाले गठबंधन का प्रमुख हिस्सा है, उसने कहा कि उसके सैनिक सीरिया में बने रहेंगे।
‘समूह फिर से इलाके में अपनी पैठ बना सकता है’
अबतक करीब 2,000 अमरीकी सैनिकों ने सीरिया के उत्तर-पूर्व को जिहादी समूहों से छुटकारा दिलाने में मदद की है लेकिन कुछ लड़ाके वहां बने हुए हैं। सेना वापस बुलाने वाले ट्रंप के फैसले पर आलोचकों का कहना है कि इससे समूह फिर से पैठ बना सकता है। अमरीका के रक्षा मंत्री जिम मैट्टिस ने इसी मुद्दे को लेकर इस्तीफा दिया है।
सहयोगी होने का मतलब कंधे से कंधा मिलाकर लड़ना: मैक्रों
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चाड में फ्रांसीसी सैनिकों से मुलाकात के दौरान मैक्रों ने कहा, ‘सहयोगी होने का मतलब कंधे से कंधा मिलाकर लड़ना है। यह देश के प्रमुख और सेना के प्रमुख के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात है।’ गौरतलब इस बार में ट्रंप ने बुधवार को अचानक घोषणा की। मैट्टिस के इस्तीफे से राष्ट्रपति के रिपब्लिकन समर्थक भी चिंतित हैं। इसके अलावा आईएस को पराजित करने के लिए बने वैश्विक गठबंधन के लिए अमरीकी राष्ट्रपति के विशेष दूत ब्रेट मैकगर्क ने भी फैसले के विरोध में इस्तीफा दे दिया।