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यूरोपीय संसद में पास हुआ विशेष बिल: अखबारों होंगे सुरक्षित और सोशल मीडिया पर लगेगी लगाम

Published: Sep 14, 2018 12:47:28 pm

Submitted by:

Shweta Singh

इसके लिए कराए गए मतदान में बिल के पक्ष में 438 जबकि विरोध में 226 वोट पड़े।

EU parliament

अखबारों को सुरक्षित करने और सोशल मीडिया पर लगाम लगाने के लिए यूरोपीय संसद में पास हुआ विशेष बिल

स्ट्रासबर्ग। यूरोपीय संसद ने बुधवार को विवादास्पद ईयू कॉपीराइट कानून को मंजूरी दे दी। इस कानून को वहां दो तरह की प्रतिक्रियाएं मिल रहीं है। जहां अखबार प्रकाशक इसे बेहद जरूरी बता रहे हैं, वहीं आलोचकों का कहना है कि ये कानून इंटरनेट की दुनिया के लिए किसी तबाही से कम नहीं है। जानकारी के मुताबिक इसके लिए कराए गए मतदान में बिल के पक्ष में 438 जबकि विरोध में 226 वोट पड़े।

बंद हो जाएंगे इंटरनेट पर वायरल होने वाले मीम

अगर एक सामान्य भाषा में इस कानून का प्रभाव समझे तो इसके लागू होते ही इंटरनेट पर वायरल होने वाले मीम बंद हो जाएंगे। हालांकि बिल समर्थकों की दलील है कि इससे इंटरनेट पर सामग्री की चोरी रुकेगी, जिससे मूल सामग्री रचने वालों को उनका वाजिब हक मिलेगा। गूगल, फेसबुक और दूसरी दिग्गज कंपनियों को प्रकाशकों, लेखकों और कलाकारों के साथ अपनी कमाई साझा करनी होगी। साथ ही बड़ी वेबसाइटों को सुनिश्चित करना होगा कि उनके प्लेटफॉर्म पर अगर कोई यूजर्स कंटेट अपलोड कर रहा है तो उससे कॉपीराइट को कोई उल्लंघन न हो।

इन दिग्गजों ने जताया है बिल पर विरोध

बता दें कि वहां इस बिल का विरोध भी खूब हो रहा है। यू-ट्यूब, गूगल और फेसबुक जैसी दिग्गज कंपनियों ऐसे प्रमुख लोगों में हैं जिन्होंने इस बिल आपत्ति जताई है। उन्होंने यूजर के सारे कंटेट परखने की जिम्मेदारी उन पर डाल दिए जाने का विरोध किया है। इसके अलावा विकीपीडिया के संस्थापक जिम्मी वेल्स और इंटरनेट के निर्माता टिम बर्नस ली भी कानून के खिलाफ हैं।

फ्रांस के राष्ट्रपति ने बताया महान कदम

सांसद जूलिया रेडा ने नए कानून को मुक्त और खुले इंटरनेट के लिए एक गंभीर झटका कहा है। दूसरी ओर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने इसे यूरोप के लिए महान कदम बताया है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, मुझे गर्व है कि फ्रांस इस लड़ाई के सबसे आगे रहा।

इस वजह से भी हो रहा है विरोध

आलोचकों का कहना है कि नए कानून से इंटरनेट की स्वतंत्रता को खतरा पैदा हो सकता है। यू-ट्यूब के कॉपीराइट फिल्टर का खर्च छह करोड़ रुपए है। अनुच्छेद 13 के चलते हर वेबसाइट में अलग फिल्टर लगाना होगा। इससे यह एक महंगी और जटिल प्रक्रिया बन जाएगा। आलोचकों का ये भी मानना है कि कॉपीराइट के अधीन सामग्री साझा करने से रोकने के लिए स्वचालित फिल्टर का दुरुपयोग राजनीतिक संदेशों या मुक्त अभिव्यक्ति के अन्य रूपों को सेंसर करने के लिए किया जा सकता है। बिल में इस बिंदू को नजरअंदाज कर दिया गया है।

अनुच्छेद 11 और 13 पर सबसे अधिक विवाद
कानून के अनुच्छेद 11 गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियों से समाचार पत्रों को सुरक्षा प्रदान करेगा। इसके मुताबिक, गूगल और फेसबुक अखबारों को बिना भुगतान के उनकी सामग्री उपयोग नहीं कर पाएंगे। वहीं अनुच्छेद 13 इंटरनेट यूजर्स को कॉपीराइट का अधिकार देता है। इसमें अगर उपयोगकर्ता किसी भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कोई भी सामग्री उपयोग करेगा तो उस मूल लेखक का कॉपीराइट होगा।

जुलाई में यूरोपीय संसद ने कर दिया था इस बिल को रद्द

आपको बता दें कि यूरोपीय संसद ने इसी साल जुलाई में इस बिल के प्रस्ताव को रद्द कर दिया था। लेकिन बुधवार को हुए इस पर चर्चा और मतदान के बाद फिलहाल इसे आगे की कार्रवाई के लिए पास कर दिया गया है। कहा जा रहा है कि इस पर एक आखिरी वोटिंग जनवरी में कराई जाएगी।

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