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फ्रांस में अर्मेनियाई नरसंहार में मारे गए लोगों को किया गया याद

locationनई दिल्लीPublished: Apr 24, 2019 08:45:42 pm

Submitted by:

Anil Kumar

राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रो ने 2017 में अर्मेनियाई समुदाय के लोगों से की थी बातचीत।
1915 में अर्मेनिया के लोगों की हत्या की गई थी।
इस नरसंहार में 10 से 15 लाख लोगों की हत्या होने अनुमान है।

अर्मेनिया नरसंहार की याद में मार्च

फ्रांस में अर्मेनियाई नरसंहार में मारे गए लोगों को किया गया याद

पेरिस। अर्मेनियाई नरसंहार के पहला वर्ष पूरा होने के मौके पर फ्रासं में बुधवार को मार्च निकाला गया और लोगों को याद किया। इससे पहले फरवरी में राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रो ने अर्मेनिया समुदाय के लोगों से बातचीत करते हुए इसकी घोषणा की थी। 2017 में चुनावी प्रचार के दौरान मैंक्रो ने लोगों से वादा किया था कि वे इस नरसंहार को राष्ट्रीय स्मरणोत्सव के तौर पर याद करेंगे। उन्होंने कहा था कि फ्रांस पहला और सबसे महत्वपूर्ण देश है जो यह जानता है कि इतिहास के कैसे देखना है। फ्रांस ऐसा पहला यूरोपियन देश है जिन्होंने 2001 में अर्मेनियाई नरसंहार को स्वीकार किया। उन्होंने कहा था कि फ्रांस उन पहले देशों में शामिल था जिन्होंने विश्व युद्ध के दौरान अपने तुर्क शासकों द्वारा अर्मेनियाई लोगों की हत्या की थी। इसके बाद मैंक्रो के बयान पर उस समय अंकारा ने नाराजगी जाहिर की, साथ ही तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के प्रवक्ता ने कहा था कि कोई भी हमारे इतिहास को तोड़ नहीं सकता है। तुर्की ने कहा था कि यह सही है कि ओटोमन साम्राज्य में रहने वाले कई अर्मेनियाई मारे गए थे, लेकिन इस बात से इनकार किया कि हत्याओं को व्यवस्थित रूप से अंजाम दिया गया था और एक नरसंहार किया गया था।

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क्या है अर्मेनियाई नरसंहार

बता दें कि ऑटोमान सरकार द्वारा योजनाबद्ध रूप से अल्पसंख्यक आर्मीनियों का जो संहार कराया गया वह आर्मीनियाई नरसंहार ( Armenian Genocide या Armenian Holocaust) कहलाता है। इस दौरान 10 लाख से 15 लाख लोगों की हत्या का अनुमान है। कहा जाता है कि 24 अप्रैल 1915 से लेकर 1916 के बीच ऑटोमान सरकार ने 250 आर्मीनियाई बुद्धिजीवियों को कांन्स्टेनटीनोपोल में बन्दी बना लिया। इसके बाद प्रथम विश्वयुद्ध और उसके बाद तक नरसंहार जारी रहा। इनके साथ ही अन्य ईसाई समूहों जैसे कि असीरियाई व ओट्टोमन के यूनानियों को भी निशाना बनाया गया।

 

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