सौदे में गड़बड़ी की पुष्टि करता कोई भी सबूत नहीं
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अपने 322 पन्नों वाले फैसले में कोर्ट ने कहा है कि उन्हें ऐसे कोई भी सबूत नहीं मिले हैं, जो अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर का भारत के साथ हुए सौदे में गड़बड़ी की पुष्टि करता हो। अदालत के आदेश में कहा गया कि विदेश के सरकारी अधिकारियों के ऊपर जो आरोप लगाया गया उसके समर्थन में कोई सबूत नहीं मिला, जो कथित आरोप को साबित करने के लिए जरूरी थे।
कोर्ट का आदेश
बता दें कि इस सौदेबाजी में फिनमेक्कानिका के पूर्व सीईओ अगस्ता वेस्टलैंड ज्यूसेपे ओर्सी और ब्रूनो स्पैग्नोलिनी का नाम मुख्य अभियुक्तों में शामिल था। वहीं भारत के पूर्व आईएएफ प्रमुख एयर चीफ मार्शल एस पी त्यागी का नाम भी इस भ्रष्टाचार मामले के आरोपियों में शामिल है। कोर्ट ने 2010 में हुए इस डील में किसी तरह की धांधली या गड़बड़ी होने से इनकार किया है। कोर्ट के दस्तावेजों के मुताबिक, ‘भारतीय रक्षा मंत्रालय का प्रतिनिधित्व होगन लवल्स के वकील फ्रांसेस्का रोला और वकील रॉबर्टो लोसेगो ने किया।’ कोर्ट ने यह भी कहा कि, ‘आरोप है कि इंडियन एयरफोर्स प्रमुख को अवैध रूप से पैसा देने के बाद हेलिकॉप्टर की उड़ान क्षमता को बदल दिया गया, लेकिन जैसा कि साक्ष्य पेश किए गए ये संभव नहीं है।’
इटली में बंद हो जाएगा मामला?
आशंका जताई जा रही है कि इस फैसले के बाद ये मामला इटली में बंद किया जा सकता है। दरअसल पहले ही इस मामले की फर्स्ट डिग्री ट्रायल, दो अपीलीय ट्रायल और यहां तक की इटली सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले की सुनवाई की जा चुकी है, ऐसे में अब आगे की अपील के लिए संभावना बहुत कम हैं।
भारत पर फैसले का कोई असर नहीं
हालांकि, ये फैसला इटली की कंपनियों के लिहाज से है और इसका असर वहीं तक सीमित है। दरअसल मामले की भारतीय एजेंसियां भी जांच कर रही हैं, जिसपर फैसले का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। वहीं हाल ही में सौदेबाजी के बिचौलिये क्रिश्चियन मिशेल के भारत में प्रत्यर्पण किए जाने की भी जानकारी मिल रही थी। लेकिन, बाद में मिशेल ने ऐसी खबरों पर अपना स्पष्टीकरण दिया था। उन्होंने ऐसी खबरो को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि उनके पास कोर्ट का कोई ऑर्डर नहीं आया है।