हाल ही में हुए एक सर्वे का कहना है कि शादी के बाद 65 फीसदी महिलाएं अपना ‘सरनेम’ बदल लेती हैं।
लंदन। हाल ही में हुए एक सर्वे का कहना है कि शादी के बाद 65 फीसदी महिलाएं अपना ‘सरनेम’ बदल लेती हैं। ऐसा करने से वो गौरवान्वित महसूस करती हैं। उन्हें पति के सरनेम अपनाने में गर्व की अनुभूति होती है। 20 से 30 साल के बीच की उम्र में शादी करने वाली महिलाएं सहजता के साथ पति की जाति को अपनाती हैं। अब पति की जाति को अपने नाम के पीछे लगाने को लेकर महिलाओं को उतनी आपत्ति नहीं है, जितनी पहले हुआ करती थी। ऐसा करके महिलाएं अपनी परंपराओं को आगे बढ़ा रही हैं।
ब्रिटेन में हुए इस सर्वे का कहना है कि ऐसा नहीं है कि महिलाएं ही पति की जाति को अपनाती हैं। पुरुषों में भी पत्नी की जाति को अपनाने का चलन बढ़ा है। 3 फीसदी पुरुष पत्नी की जाति को अपने नाम के पीछे स्वेच्छा से लगाते हैं। हालांकि, कई बार ऐसा भी देखा गया है कि पति को अपनी जाति, नाम को पीछे लगाने में शर्मिंदगी होती है तो वो पत्नी की जाति को नाम के पीछे जोड़ लेते हैं। कई पुरुषों के सरनेम बड़े अजीब होते हैं, ऐसे में वो पत्नी के सरनेम को लगा लते हैं। सर्वे का कहना है कि नए दौर में पति-पत्नी दोनों एक दूसरे के ‘सरनेम’ को अपना रहे हैं। दुनियाभर में इस तरह का चलन बढ़ा है। ऐसा करने पर पति-पत्नी को कोई दिक्कत भी नहीं होती और संबंधों में भी मिठास आता है।
इस सर्वे का कहना है कि 60 साल पहले यह एक आम बात थी कि शादी के बाद पत्नी को पति का सरनेम अपना ही अपना है। हालांकि अब यह इतना ज्यादा मायने नहीं रखता है। इस मामले में समाज में उदारता आई है। सर्वे का कहना है कि जिन मामलों में महिलाएं पति की जाति को नाम के पीछे लगाने में असहज होती हैं, इसका मतलब है कि वो शादी के प्रति पूरी तरह समर्पित नहीं हैं।