इसलिए नहीं मिलेगा पुरस्कार
बता दें कि स्वीडन में सांस्कृतिक गतिविधियों का बड़ा चेहरा माने जाने हैं फ्रांसीसी नागरिक ज्यां क्लाउड अर्नोल्ट। यह इस बार के साहित्य पुरस्कार समिति के ज्यूरी में शामिल थे। इस बीच इनके ऊपर यौन आरोप के स साथ वित्तीय अनियमितता का आरोप लगा। इसकी जांच अभी चल रही है। इस वजह से अकादमी की छवि को काफी धक्का लगा। इसीलिए नोबल पुरस्कार समिति ने यह निर्णय लिया कि साहित्य का नोबेल प्राइज इस बार किसी को न दिया जाए, ताकि पुरस्कार पर किसी तरह का कोई विवाद न हो और नोबेल पुरस्कार की गरिमा बहाल रहे।
लोगों में है उत्सुकता
इन तमाम विवादों के बीच बाकी के नोबेल पुरस्कारों को लेकर लोगों में उत्सुकता है। नुक्कड़-चौराहे तक पर चर्चा चल रही है। सोमवार को चिकित्सा के नोबेल पुरस्कार की घोषणा के साथ इसकी शुरुआत हो चुकी है। आम आदमी की उत्सुकता सबसे ज्यादा साहित्य के नोबेल पुरस्कार और शांति के लिए दिए जाने वाले नोबेल पुरस्कार पर होती है। इस बार साहित्य का नोबेल पुरस्कार नहीं दिए जाने की वजह से सबकी निगाहें शांति पुरस्कार पर टिकी है। इसकी घोषणा शुक्रवार को होगी। लेकिन इससे पहले विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों और अर्थशास्त्र के लिए मिलने वाले नोबेल पुरस्कारों की घोषणा होनी है। बता दें कि नोबेल पुरस्कार सर एल्फ्रेड नोबेल की याद दिया जाता है। उन्होंने डायनाइमाइट की खोज की थी।
2017 में काजुओ इशिगुरो को मिला था साहित्य का नोबेल
बता दें कि 2017 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार “द रिमेंस ऑफ द डे” से मशहूर हुए उपन्यासकार काजुओ इशिगिरो मिला था। वह जन्म से जापान के थे, लेकिन बाद में ब्रिटेन में रहने लगे। यहां यह भी बता दें कि सिर्फ एक भारतीय रविंद्रनाथ टैगोर को साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला है।