यूरोप

रोहिंग्या मामला: यूनिवर्सिटी ने सू की से वापस लिया फ्रीडम ऑफ ऑक्सफोर्ड सम्मान

ऑक्सफोर्ड यूनिवसर्सिटी से अंडरग्रेजुएट डिग्री लेने वाली सू की को विश्वविद्यालय ने 1997 में ‘लोकतंत्र के लिए संघर्ष’ करने के लिए यह उपाधि प्रदान की थी।

Oct 05, 2017 / 06:31 am

Rahul Chauhan

लंदन: रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ जारी हिंसा पर म्यांमार की नेता आंग सान सू की द्वारा चुप्पी के विरोध में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने उनसे ‘फ्रीडम ऑफ ऑक्सफोर्ड’ सम्मान वापस ले लिया है। ऑक्सफोर्ड यूनिवसर्सिटी से अंडरग्रेजुएट की डिग्री लेने वाली सू की को विश्वविद्यालय ने 1997 में ‘लोकतंत्र के लिए संघर्ष’ करने के लिए यह उपाधि प्रदान की थी। लेकिन, ऑक्सफोर्ड सिटी काउंसिल ने एकमत से उनसे सम्मान वापस लेने के पक्ष में मतदान किया है।
काउंसिल ने एकमत से पारित किए गए प्रस्ताव में कहा कि म्यांमार के राखिने में जिस तरह से वह रोहिंग्या मुस्लिमों पर होने वाले अत्याचार पर चुप हैं, ऐसे में वह इस सम्मान की हकदार नहीं हैं। म्यामांर से अब तक 5,00,000 से अधिक रोहिंग्या मुस्लिम बांग्लादेश और भारत जैसे देशों में पलायन कर चुके हैं। स्थानीय काउंसलर और लेबर पार्टी के सदस्य मैरी क्लार्कसन ने कहा कि हिंसा पर आंख मूंद लेने वाले को सम्मान देने से ऑक्सफोर्ड की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।
अंक के मुताबिक क्लार्कसन ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने रोंहिग्या समुदाय पर हमलों को जातीय सफाया करार दिया है, जबकि वह इस पर चुप्पी साधे हैं और खुद पर लगे सभी आरोपों को गलत ठहरा रही हैं। यही नहीं वह रोहिंग्या महिलाओं के साथ होने वाली रेप की घटनाओं को भी गलत करार दे रही हैं।
बता दें कि इससे पहले ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के जिस सेंट ह्यूज कॉलेज में आंग सान सू की ने स्नातक की पढ़ाई की थी, उसने उनके पोर्ट्रेट को अपने मुख्य एण्ट्री गेट से हटा दिया है। सू की ने 1967 में सेंट ह्यूज कॉलेज से ग्रेजुएशन किया था। इस कॉलेज के प्रवेश द्वार पर 1999 में उनका पोर्ट्रेट लगाया गया था।
रोहिंग्या विद्रोहियों द्वारा म्यांमार सेना की चौकियों पर हमले के बाद 25 अगस्त को शुरू हुई सेना की कार्रवाई ने रोहिंग्या लोगों को पलायन पर मजबूर कर दिया, जिसके बाद म्यांमार ने उनसे नागरिकता भी छीन ली।

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