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बच्चों की पिटाई के खिलाफ संसद में बिल पेश, पास होने पर मां-बाप पर होगी कार्रवाई

locationनई दिल्लीPublished: Nov 04, 2018 04:05:31 pm

Submitted by:

mangal yadav

बच्चों के साथ होने वाली मारपीट से चिंचित सांसद ने संसद में एक बिल पेश किया है।

स्कॉटलैंड

बच्चों की पिटाई के खिलाफ संसद में बिल पेश, पास होने पर मां-बाप पर होगी कार्रवाई

एडिनबर्गः स्कॉटलैंड में बच्चों को पीटने की घटनाएं लगातार बढ़ रही है। बच्चों के साथ होने वाली मारपीट से चिंचित सांसद जॉन फिनी ने संसद में एक बिल पेश किया है। फिनी ने बच्चों के साथ होने वाली मारपीट पर प्रतिबंधित करने के लिए संसद से कानून बनाने की मांग की है। संसद में अगर यह बिल पास हो जाता है तो मां-बाप अपने ही बच्चों की पिटाई नहीं कर सकेंगे। अगर ऐसा होगा तो शिकायत मिलने पर पुलिस कार्रवाई भी कर सकती है। इस बिल को लेकर सांसदों की एक कमेटी ने जनता के बीच जाकर रायशुमारी भी कर रही है। कमेटी जनता की राय को संसद के समक्ष रखेगी, जिसके बाद इस बिल पर अंतिम फैसला हो सकता है।

बिल के समर्थन में पुलिस और चर्च
इस बिल का स्कॉटिश पुलिस फेडरेशन, चर्च और सोसायटी काउंसिल ऑफ स्कॉटलैंड ने समर्थन किया है। बिल का समर्थन करने वालों का कहना है कि बच्चों को घरेलू हिंसा से बचाने के लिए यह बिल बहुत जरुरी है। इस बिल के लिए बनी सांसदों की कमेटी के एक सदस्य ने कहा कि समाज के कई लोगों ने इस बिल से उलट राय दी है जबकि कुछ लोगों ने इसका समर्थन किया है।

बिल का विरोध शुरू
जहां कुछ संगठन बच्चों के साथ होने वाली मारपीट के पक्ष में हैं वहीं ज्यादा लोग इस बिल के खिलाफ है। विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि बच्चों को शारीरिक दंड देने का अधिकार मां-बाप के पास होना चाहिए। अगर यह अधिकार माता-पिता के पास नही होंगे तो बच्चे लापरवाह हो जाएंगे। इस बिल के खिलाफ कुछ संगठन अभियान भी चला रहे हैं। संगठनों का कहना है कि अगर यह बिल संसद में पास हो गया तो माता-पिता समाज में अपराधी के तौर पर देखे जाएंगे। संगठन का मानना है कि बच्चों को अनुशासित रखने के लिए मां-बाप के पास यह अधिकार होना चाहिए। उधर, इस बिल को लेकर स्कॉटलैंड के एक अखबार ने 1024 लोगों की राय ली। सर्वे में करीब 53 प्रतिशत लोग बिल के खिलाफ अपनी राय दी। जबकि 30 फीसदी लोगों ने बच्चों को पीटने पर प्रतिबंध लगाने का समर्थन किया। बताया जा रहा है कि साल भर पहले हुए एक ऐसे ही सर्वे में 75 फीसदी लोगों ने बच्चों की पिटाई पर प्रतिबंध लगाने का समर्थन किया था।

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