2 जजों ने किया था पीड़िता के पक्ष में वोट
आपको बता दें निचली अदालत की ओर से पांचों आरोपियों को रेप के आरोप से बरी किए जाने पर पूरे देश में इसके खिलाफ आंदोलन हुए थे। उस वक्त इन आरोपियों को सिर्फ आरोप से बरी ही नहीं, बेल पर जेल से छोड़ भी दिया गया था। अपील जज ने इस फैसले को बरकरार रखते हुए टिप्पणी कि आरोपियों ने हिंसा का इस्तेमाल नहीं किया था, इसलिए ये नहीं माना जा सकता है कि 18 साल की पीड़िता का रेप हुआ था। 5 जजों में से 2 जजों ने पीड़िता के पक्ष में वोट किया था और आरोपियों को 14 साल की सजा की मांग की थी, हालांकि तीन जज बहुमत में थे।
फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका
संभावना जताई जा रही है कि यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में जाएगा। बता दें कि ये फैसला सुनाए जाने के बाद पीड़ित लड़की की वकील ने बयान दिया, ‘हमें ये फैसला बिल्कुल मंजूर नहीं है, हम इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।’
साल 2016 की घटना
ये घटना साल 2016 के जुलाई की है। उस वक्त सैन फर्मिन बुल रनिंग फेस्टिवल के दौरान इस लड़की के साथ 5 लोगों ने बेसमेंट में जबरन असुरक्षित यौन संबंध बनाया था। आरोपियों में से एक ने इस दरिंदगी का वीडियो रिकॉर्ड कर वॉट्स के वुल्फ पैक नाम के ग्रुप पर भेज दिया था। इसके आधार पर पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पीड़ित लड़की ने इस दौरान उदासीन रवैया अपनाए रखा था और अपनी आंखें बंद रखी थी। बता दें कि कोर्ट ने माना कि पांचों आरोपियों ने अपनी स्थिति का फायदा उठाकर पीड़ित लड़की की सहमति के बिना संबंध बनाए गए थे।
रेप कानून में बदलाव की मांग
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि पीड़िता की उदासीन रही और घटना किसी भी तरह की धमकी या हिंसक गतिविधि का कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है। जबकि स्पैनिश कानून के तहत, रेप या गैंगरेप की पुष्टि तभी होती है जब वारदात के वक्त यौन हमला, हिंसा या धमकी का इस्तेमाल किया गया हो। इस फैसले के बाद रेप कानून में बदलाव की मांग और तेज हो गई है।