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दुनियाभर में बिक रही हैं 200 हजार करोड़ की फर्जी दवाएं, WHO की रिपोर्ट

Published: Nov 29, 2017 01:09:57 pm

Submitted by:

Chandra Prakash

WHO ने विकासशील देशों में बिकने वाली दवाओं के लेकर जारी रिपोर्ट में कहा है कि दुनियाभर में करीब 200 हजार करोड़ की फर्जी दवाएं बिक रही हैं।

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नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने विकासशील देशों में बिकने वाली दवाओं के लेकर एक बड़ा खुलासा किया है। मंगलवार को WHO ने अपने एक रिपोर्ट में कहा कि विश्व के विकासशील देशों में बिकने वाली लगभग 10 प्रतिशत दवाएं संदिग्ध हैं। उन्होंने बताया कि काम आय वाले और मध्यम आय वाले देशों में जो दवाएं बेचीं जाती हैं, उनमें 10 में से एक दवा फर्जी है। इन देशों में करीब 200 हजार करोड़ फर्जी दवाओं का व्यापार होता है।

दवाएं खाकर ज्यादा बीमार हो रहे लोग
इस खुलासे के बाद यह माना जा सकता है कि लोग ऐसी दवाएं इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे उनके बीमारी से बचाव और इलाज संभव नहीं है। ऐसे में न सिर्फ लोगों के पैसे से खिलवाड़ किया जा रहा है, बल्कि उनके जान पर भी गंभीर बीमारियों का संकट बना रहता है। WHO ने माना कि ये फर्जी और खराब दर्जें की दवाओं से लोगों की सेहत पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है।

कमजोर लोगों पर होता सबसे पहले असर
WHO के डायरेक्टर ने बताया कि इन संदिग्ध दवाओं का असर सबसे ज्यादा उन लोगों पर होता है, जिनमें रोग प्रतिरोधक क्षमताएं सबसे कम होती हैं। उन्होंने आगे कहा कि ‘सोचिए एक मां अपना खाना छोड़ कर अपने बच्चो के लिए दवाएं खरीदती है। उससे यह भी नहीं पता कि जो दवाएं उसने खरीदी है, वो उसके बच्चे की बीमारियों के लिए बेअसर है, यहां तक की उस फर्जी दवा से उसके बच्चे की जान को भी खतरा है। यह बिलकुल अस्वीकार्य है। सभी देशों ने वैश्विक स्तर पर इसके लिए कार्यवाई करने की सहमति जताई थी, और अब वक़्त आ गया है की इस पर ठोस कार्रवाई करे’।

ग्लोबलाइजेशन से बढ़ी समस्याएं
WHO ने अपने रिपोर्ट में ग्लोबलाइजेशन को इस समस्या का सबसे बड़ा कारण बताया है। उन्होंने कहा कि ये जो फर्जी दवाएं हैं, इनका उत्पादन कहीं और होता है और पैकेजिंग किसी और देश में होता है और फिर किसी अलग देश में इसका वितरण होता है, इसलिए इसके बिक्री पर रोक लगाना मुश्किल होता जा रहा है।

WHO की रिपोर्ट पर मतभेद
हालांकि कई विशेषज्ञों ने इस रिपोर्ट की निंदा भी की है। उन्होंने कहा यह अध्ययन को बहुत बढ़ा चढ़ा कर बताया जा रहा है। उन्होंने इस शोध का आधार भी गलत ठहराया।
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