दवाएं खाकर ज्यादा बीमार हो रहे लोग
इस खुलासे के बाद यह माना जा सकता है कि लोग ऐसी दवाएं इस्तेमाल कर रहे हैं जिससे उनके बीमारी से बचाव और इलाज संभव नहीं है। ऐसे में न सिर्फ लोगों के पैसे से खिलवाड़ किया जा रहा है, बल्कि उनके जान पर भी गंभीर बीमारियों का संकट बना रहता है। WHO ने माना कि ये फर्जी और खराब दर्जें की दवाओं से लोगों की सेहत पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है।
कमजोर लोगों पर होता सबसे पहले असर
WHO के डायरेक्टर ने बताया कि इन संदिग्ध दवाओं का असर सबसे ज्यादा उन लोगों पर होता है, जिनमें रोग प्रतिरोधक क्षमताएं सबसे कम होती हैं। उन्होंने आगे कहा कि ‘सोचिए एक मां अपना खाना छोड़ कर अपने बच्चो के लिए दवाएं खरीदती है। उससे यह भी नहीं पता कि जो दवाएं उसने खरीदी है, वो उसके बच्चे की बीमारियों के लिए बेअसर है, यहां तक की उस फर्जी दवा से उसके बच्चे की जान को भी खतरा है। यह बिलकुल अस्वीकार्य है। सभी देशों ने वैश्विक स्तर पर इसके लिए कार्यवाई करने की सहमति जताई थी, और अब वक़्त आ गया है की इस पर ठोस कार्रवाई करे’।
ग्लोबलाइजेशन से बढ़ी समस्याएं
WHO ने अपने रिपोर्ट में ग्लोबलाइजेशन को इस समस्या का सबसे बड़ा कारण बताया है। उन्होंने कहा कि ये जो फर्जी दवाएं हैं, इनका उत्पादन कहीं और होता है और पैकेजिंग किसी और देश में होता है और फिर किसी अलग देश में इसका वितरण होता है, इसलिए इसके बिक्री पर रोक लगाना मुश्किल होता जा रहा है।
WHO की रिपोर्ट पर मतभेद
हालांकि कई विशेषज्ञों ने इस रिपोर्ट की निंदा भी की है। उन्होंने कहा यह अध्ययन को बहुत बढ़ा चढ़ा कर बताया जा रहा है। उन्होंने इस शोध का आधार भी गलत ठहराया।