विश्व का सबसे ऊंचा पेड़ कौन सा है?
दुनिया का सबसे ऊंचा जीवित पेड़ है रेडवुड नेशनल पार्क, कैलिफोर्निया में कोस्ट रेडवुड है जिसकी ऊंचाई है 115.66 मीटर यानी 379 फीट। कुतुबमीनार से भी ऊंचे इस पेड़ की तुलना कुछ और चीजों से करें तो पाएंगे कि यह अमरीकी संसद भवन और स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी से भी ज्यादा ऊंचा है। सबसे बड़ा यानी सबसे ज्यादा जगह घेरने वाला सिंगल स्टैम पेड़ है जनरल शर्मन। आसानी से समझने के लिए सबसे ज्यादा लकड़ी देने वाला पेड़। जनरल शर्मन पेड़ अमरीका के कैलिफोर्निया राज्य के सेक्योवा नेशनल पार्क में मौजूद है। यह इतिहास में ज्ञात जीवित पेड़ों में सबसे ऊंचा नहीं है। दरअसल यह मनुष्यों को ज्ञात सबसे विशाल वृक्ष भी नहीं है। ट्रिनिडाड, कैलिफोर्निया के पास क्रैनेल क्रीक जाइंट पेड़ जनरल शर्मन के मुकाबले 15 से 25 प्रतिशत ज्यादा बड़ा था। पर उस पेड़ को 1940 के दशक में काट डाला गया।
अहिंसा सिल्क क्या है?
महात्मा गांधी सिल्क पहनने का विरोध करते थे क्योंकि इसे तैयार करने में रेशम के कीड़े की हत्या की जाती है। पर दुनिया में सिल्क तैयार करने की केवल एक विधि ही नहीं है। अहिंसा सिल्क अलग ढंग के कीड़ों से बनाई जाती है। इसमें जब कीड़ा सिल्क छोड़ देता है तब उसे एकत्र किया जाता है। इसे वाइल्ड सिल्क भी कहा जाता है। दुनिया में वाइल्ड सिल्क के कीड़ों की 500 प्रजातियां हैं। इस सिल्क में एक धागा नहीं मिलता, बल्कि कपास की तरह की रुई मिलती है इससे धागा बनाया जाता है।
भारत में प्रशासनिक सेवाएं कब शुरू हुईं?
इस सेवा को पहले इम्पीरियल सिविल सर्विस और बाद में इंडियन सिविल सर्विस का नाम दिया गया। शुरुआत में उनकी भरती की परीक्षाएं केवल लंदन में होती थीं। बाद में इलाहाबाद में भी होने लगीं। सन 1923 में ब्रिटिश सरकार ने भारतीय प्रशासनिक सेवा में स्थानीय भागीदारी के लिए एक आयोग बनाया जिसके अध्यक्ष थे लॉर्ड ली ऑफ फेयरहैम। इसके पहले इंस्लिंगटन कमीशन और मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड आयोग ने भी भारतीयों की भागीदारी के लिए सिफारिशें की थीं।
ली आयोग ने सिफारिश की कि भारतीय प्रशासनिक सेवा में 40 फीसदी ब्रिटिश, 40 फीसदी भारतीय सीधे और 20 फीसदी स्थान प्रादेशिक सेवाओं से प्रोन्नति देकर लाए गए अफसरों को दिए जाएं। ली आयोग ने भरती के लिए एक लोक सेवा आयोग बनाने की सिफारिश भी की। वर्ष 1926 में संघ लोक सेवा आयोग की स्थापना हुई। स्वतंत्रता के बाद संविधान सभा ने अनुच्छेद 315 के तहत इसे एक स्वायत्त संस्था के रूप में संविधान में स्थान भी दिया।