रक्षा मंत्रालय ने जवानों की संतानों को 8 श्रेणियों में प्राथमिकता देने को कहा था। राज्य सरकार ने पिछले वर्ष सेवारत जवानों के बच्चों को आरक्षण समेत अंतिम तीन श्रेणियों को इस कोटे में शामिल किए जाने से इनकार कर दिया था। इस आदेश को कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
8 श्रेणियों में प्राथमिकता
जवान की विधवा, शहीद की संतानें, कार्य के वक्त उत्पन्न निशक्तता, सेवा के दौरान मृत्यु, शौर्य पदक प्राप्त जवान, पूर्व सैन्यकर्मियों के बच्चे, निःशक्त सैन्यकर्मियों की पत्नियां, सेवारत जवानों की बीवी व बच्चे की अलग अलग श्रेणियां बनाई थी।
कोर्ट ने कहाः हक से वंचित करने का आधार नहीं
फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई कारण नजर नहीं आता कि इन श्रेणियों को छोड़ दिया जाए। हमें जवानों के शौर्य तथा बलिदान को पहचान देनी चाहिए। कोर्ट ने अंतिम तीन श्रेणियों को हटाना मनमाना, अतार्किक तथा संविधान के अनुच्छेद 14 के विपरीत मानते हुए फैसला सुनाया।