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ऐसी भी क्या नजरअंदाजी

locationअजमेरPublished: Mar 03, 2023 07:54:14 pm

Submitted by:

Anil Kailay

अजमेर शहर की समस्याओं पर टिप्पणी

ऐसी भी क्या नजरअंदाजी

ऐसी भी क्या नजरअंदाजी

अजमेर हूं। मैं कई राजा- महाराजाओं के शासन का गवाह रहा हूं। अंग्रेजी हुक्मरानों के अंदाज से भी वाकिफ हूं। मुल्क की आजादी के बाद कई ’बड़े बाबू’ मेरी जमीन पर अफसरी के लिए आते जाते रहे। ज्यादातर ने केवल टाइम पास किया। कुछ ने मेरी सार संभाल की। लेकिन पिछले आठ महीनों में सत्ता, विपक्ष और प्रशासन में बैठे ओहदेदारों ने मेरी जो नजरअंदाजी की है, वह मैंने पहले कभी महसूस नहीं की। आनासागर के नो कंस्ट्रक्शन जोन का मामला हो या फिर अधूरी पड़ी एलिवेटेड रोड, अतिक्रमण की समस्या हो या फिर पेयजल की किल्लत, पार्किंग की अव्यवस्था का मसला हो या सीवरेज का अधूरापन, ऊबड़ खाबड़ सड़कों का मुद्दा हो या फिर मेरी जनता की सुरक्षा का सवाल, इन तमाम मसलों की ऐसी अनदेखी की जा रही है जैसे शहरी सरकार और प्रशासन का इनसे कोई वास्ता ही नहीं है।
मेरे शहर के खबरनवीसों ने समय-समय पर अफसरों और जनप्रतिनिधियों को जनता के दर्द से अवगत कराया है लेकिन ऐसा लगता है कि इनकी आंखों पर पर्दा डल गया है और इन्होंने कानों में रुई ठूंस रखी है। जिला प्रशासन का लवाजमा सरकारी बैठकों में अति व्यस्त रहता है। मेरे यहां वीआईपी के आने पर उनकी सक्रियता काबिले तारीफ है। तीज त्योहारों पर सार्वजनिक कार्यक्रमों में उनकी उपिस्थति आयोजकों को गौरवान्वित करती है। मेरी गुजारिश है कि आमजन के जीवन को सरल और सुविधाजनक बनाने पर भी गौर किया जाए। पिछले दिनों लवाजमे ने जवाहर लाल नेहरू अस्पताल का औचक निरीक्षण किया। ट्रोमा वार्ड, आपातकालीन इकाई, ईएनटी विभाग, ओपीडी परिसर, मेडिसिन वार्ड, सर्जिकल वार्ड में व्यवस्थाओं को सुधारने के आदेश दिए। यह हिस्सा तो संभाग के सबसे बड़े अस्पताल का केवल 15 फीसदी ही है। अस्पताल में रोजाना करीब 3500 मरीजों की ओपीडी है और 1400 मरीजों को भर्ती किया जा सकता है। नेत्र रोग विभाग, अस्थि रोग, शिशु रोग, हृदय रोग, टीबी, यूरोलॉजी, मानसिक रोग, नशामुक्ति केन्द्र, कैंसर विभाग का भी पेगफेरा कर लेना चाहिए। जिनती समस्याएं देखी गई, उससे कई गुणा अधिक और मिल जाएंगी। अस्पताल कर्मचारियों का खुफिया तंत्र इतना मजबूत है कि लवाजमे के आने की सूचना उन तक पहुंच जाती है। लवाजमा कई ढकी हुई चीजें देखकर चला जाता है। सवाल यह भी उठता है कि बार- बार निरीक्षण के बावजूद व्यवस्थाओं में सुधार क्यों नहीं हो पाता ? क्यों सफाई की अव्यवस्था आज भी सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। मेरा तो मानना है कि कर्मचारियों की ठेका प्रथा व्यवस्थाओं को सुधारने में सबसे बड़ी बाधा साबित हो रही है। नाफरमानी करने वाले ठेकेदारों को काली सूची में डाल कर उनपर आजीवन प्रतिबंध लगा देना चाहिए। ऐसे ठेकेदारों से ’गठबंधन’ करने वाले सरकारी मुलाजिम भी बेनकाब होने चाहिए।
सरकारी लवाजमे से मेरी दरख्वास्त है कि अस्पताल के अलावा शहर के दूसरे हिस्सों में भी जनता का दर्द सुनने के लिए निकलें। आप सरकार के प्रति तो जवाबदेह हैं, जनता भी आपसे ही अपेक्षा रखती है। मैं तो समय- समय पर जनता की भावना आप तक पहुुंचाता रहूंगा। निर्णय आपको करना है।
anil.kailay@epatrika. com
 
 
 

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