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छठ पूजा 2016 : जानिए छठ महाव्रत की पूरी पूजा विधि

locationफैजाबादPublished: Nov 03, 2016 01:16:00 pm

मूल रूप से तो यह त्योहार बिहार झारखंड उत्तर प्रदेश एवं भारत के पड़ोसी देश नेपाल में मनाया जाता है लेकिन धीरे-धीरे छठ महाव्रत का यह पर्व पूरे देश में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है

Chhathh Mahavrta

Chhathh Mahavrta

फ़ैज़ाबाद । छठ महाव्रत का यह महापर्व पूरे देश में 4 नवंबर को हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाएगा इस मौके पर महिलाएं और पुरुष छठ माता से अपने परिवार और अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए पूजा और आराधना करेंगे मूल रूप से तो यह त्योहार बिहार झारखंड उत्तर प्रदेश एवं भारत के पड़ोसी देश नेपाल में मनाया जाता है लेकिन धीरे-धीरे छठ महाव्रत का यह पर्व पूरे देश में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है ।
जानिए कैसे मनाया जाता है छठ का यह पर्व

व्रत अनुष्ठान के इस महापर्व में देवी षष्टी माता एवं भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के लिए स्त्री और पुरुष दोनों मिलकर इस धार्मिक अनुष्ठान को संपूर्ण करते हैं यह व्रत चार दिनों का कठिन अनुष्ठान होता है जिसमें प्रथम दिवस में आत्म शुद्धि हेतु व्रत करने वाले व्यक्ति अरवा यानी शुद्ध आहार लेते हैं पंचमी का दिन नहा खा का होता है यानी स्नान करने के बाद पूजा पाठ संपूर्ण कर शाम को गुड़ और नए चावल से खीर बनाकर फल और मिष्ठान से छठी माई की पूजा की जाती है और फिर व्रत करने वाली कुंवारी कन्याओं को एवं ब्राह्मणों को भोजन करवा कर इस खीर को प्रसाद के तौर पर खाया जाता है । षष्ठी के दिन घर में पवित्रता एवम शुद्धता के साथ उत्तम पकवान बनाए जाते हैं सायं काल पकवानों को बड़े बड़े बांस के डालों में भरकर आसपास के पवित्र जलाशय नदियों पोखरों सरोवरों के पास ले जाया जाता है जहां पर इसका घर बनाकर उन पर दिया जलाने की परंपरा हो पूरी की जाती है ।
कैसे की जाती है छठी माई की पूजा

व्रत करने वाले व्यक्ति छठी पूजा के इस पर्व में पवित्र नदी सरोवर में स्नान करने के बाद प्रसाद से भरे डालों को उठाकर डूबते सूर्य एवं छठी माई को अर्ध्य देते हैं सूर्यास्त के बाद लोग अपने अपने घर वापस आ जाते हैं रात्रि भर जागरण अनुष्ठान होता है और उसके बाद सप्तमी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में पुनः संध्या काल की तरह डालो में पकवान नारियल केला मिठाई भरकर नदी के किनारे व्रत करने वाले लोग उपस्थित होते हैं और सुबह के समय उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है अंकुरित चना हाथ में लेकर षष्ठी व्रत की कथा कही और सुनी जाती है इसके बाद प्रसाद का वितरण किया जाता है और इसी दिन व्रत करने वाले इस दिन परायण करते हैं ।
छठ व्रत से मिलने वाले लाभ

छठ महापर्व के बारे में प्राचीन समय से यह मान्यता रही है कि जो भी व्यक्ति छठी माई और सूर्यदेव से इस दिन पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ कुछ मांगता है तो उसकी मुराद जरुर पूरी होती है और अपनी मुराद पूरी होने पर लोग सूर्य देव को दंडवत प्रणाम करते हुए छठ महाव्रत का अनुष्ठान करते हैं अपनी मुराद पूरी होने पर लोग घर में कुल देवी या देवता को प्रणाम कर नदी तट तक दंड देते हुए जाते हैं दंड की यह प्रक्रिया इस प्रकार से है कि पहले सीधे खड़े होकर देव को प्रणाम किया जाता है फिर पेट की ओर से जमीन पर लेट कर दाहिने हाथ से जमीन पर एक रेखा खींची जाती है यह प्रक्रिया नदी तक पहुंचने तक बार बार दोहराई जाती है ।
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